Chandrayaan 3 Mission: इसरो ने रचा इतिहास, लॉन्च हुआ चंद्रयान 3, देखें VIDEO
Chandrayaan 3 Mission: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने शुक्रवार दोपहर 2.35 बजे चंद्रयान 3 मिशन का प्रक्षेपण किया. यह श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से लॉन्च किया गया. चंद्रयान 3 मिशन की सफलता के बाद भारत, अमेरिका, चीन और तत्कालीन सोवियत संघ के बाद चंद्रमा पर साफ्ट लैंडिंग करने वाला चौथा देश बन जाएगा. वहीं चंद्रयान 3 की लॉन्चिंग से पहले इसकी सफलता के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुभकामनाएं दीं.
नई दिल्लीः Chandrayaan 3 Mission: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने शुक्रवार दोपहर 2.35 बजे चंद्रयान 3 मिशन का प्रक्षेपण किया. यह श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से लॉन्च किया गया. चंद्रयान 3 मिशन की सफलता के बाद भारत, अमेरिका, चीन और तत्कालीन सोवियत संघ के बाद चंद्रमा पर साफ्ट लैंडिंग करने वाला चौथा देश बन जाएगा. वहीं चंद्रयान 3 की लॉन्चिंग से पहले इसकी सफलता के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुभकामनाएं दीं.
चंद्रमा की सतह पर लैंडर की सॉफ्ट लैंडिंग का है लक्ष्य
चंद्रयान 3 साल 2019 में लॉन्च किए गए चंद्रयान 2 का अगला मिशन है. इस तीसरे चंद्र मिशन में भी अंतरिक्ष वैज्ञानिकों का लक्ष्य चंद्रमा की सतह पर लैंडर की ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ का है. ‘चंद्रयान-2’ मिशन के दौरान अंतिम क्षणों में लैंडर ‘विक्रम’ पथ विचलन के चलते ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ करने में सफल नहीं हुआ था.
इसरो के मुताबिक, ‘चंद्रयान-3’ मिशन के तहत इसरो अपने चंद्र मॉड्यूल की मदद से चंद्र सतह पर ‘सॉफ्ट-लैंडिंग’ और चंद्र भूभाग पर रोवर की चहलकदमी का प्रदर्शन करके नई सीमाएं पार करने जा रहा है. एलवीएम3एम4 रॉकेट शुक्रवार को इसरो के महत्वाकांक्षी ‘चंद्रयान-3’ को पृथ्वी के इकलौते उपग्रह चंद्रमा की यात्रा पर ले जाएगा.
इस रॉकेट को पूर्व में जीएसएलवीएमके3 कहा जाता था. भारी उपकरण ले जाने की इसकी क्षमता के कारण अंतरिक्ष वैज्ञानिक इसे 'फैट बॉय' भी कहते हैं.
साल 2003 में हुआ था चंद्रयान कार्यक्रम का ऐलान
बता दें कि 15 अगस्त 2003 को तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने चंद्रयान कार्यक्रम की घोषणा की थी. 22 अक्टूबर 2008 को चंद्रयान-1 ने श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से उड़ान भरी. आठ नवंबर 2008 को चंद्रयान-1 ने प्रक्षेपवक्र पर स्थापित होने के लिए चंद्र स्थानांतरण परिपथ (लुनर ट्रांसफर ट्रेजेक्ट्री) में प्रवेश किया था.
वहीं 14 नवंबर 2008 को चंद्रयान-1 चंद्रमा के दक्षिण ध्रुव के समीप दुर्घटनाग्रस्त हो गया लेकिन उसने चांद की सतह पर पानी के अणुओं की मौजूदगी की पुष्टि की. 28 अगस्त 2009 को इसरो के अनुसार चंद्रयान-1 कार्यक्रम की समाप्ति हुई.
साल 2019 में लॉन्च हुआ था चंद्रयान 2
22 जुलाई 2019 को श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से चंद्रयान-2 का प्रक्षेपण किया गया. 20 अगस्त 2019 को चंद्रयान-2 अंतरिक्ष यान चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश कर गया. दो सितंबर 2019 को चंद्रमा की ध्रुवीय कक्षा में चांद का चक्कर लगाते वक्त लैंडर ‘विक्रम’ अलग हो गया था लेकिन चांद की सतह से 2.1 किलोमीटर की ऊंचाई पर लैंडर का जमीनी स्टेशन से संपर्क टूट गया.
अब इसरो के वैज्ञानिकों ने 23-24 अगस्त को चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग की योजना बनायी है जिससे भारत इस उपलब्धि को हासिल करने वाले देशों की फेहरिस्त में शामिल हो जाएगा.
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