नई दिल्ली: झारखंड के राज्यपाल रमेश बैस राज्य में पॉलिटिकल क्राइसिस के बीच शुक्रवार को दिल्ली पहुंच गए हैं. दरअसल झारखंड में सत्ताधारी पक्ष के विधायकों ने गवर्नर से खत लिखकर हेमंत सोरेन की सदस्यता पर तस्वीर साफ करने को कहा है. विधायकों ने कहा है कि 25 अगस्त से मीडिया में सूत्रों के जरिए खबर चल रही हैं कि हेमंत सोरेन की सदस्यता रद्द करने की सिफारिश चुनाव आयोग ने की है. लेकिन गवर्नर की तरफ से तस्वीर स्पष्ट नहीं की जा रही है. 


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दरअसल मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक ऑफिस ऑफ प्रॉफिट के मामले में चुनाव आयोग ने हेमंत सोरेन की सदस्यता रद्द करने की सिफारिश कर दी है लेकिन रमेश बैस ने कोई एक्शन नहीं लिया है. इसी के बाद से राज्य में राजनीतिक अस्थितरता का दौर है. हेमंत सोरेन खुद कुर्सी पर बने हुए हैं और पूरी तरह आश्वस्त दिख हैं.  


विधायकों को छत्तीसगढ़ भेजा
सोरेन ने अपने विधायकों को छत्तीसगढ़ भेज दिया है. मंगलवार को झारखंड में सत्तारूढ़ संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) के विधायक एक विशेष विमान में छत्तीसगढ़ पहुंचे. 81 सदस्यीय विधानसभा में सत्तारूढ़ गठबंधन के 49 विधायक हैं. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने हवाई अड्डे से बाहर आने के बाद संवाददाताओं से कहा था, ‘यह आश्चर्यजनक कदम नहीं है. यह राजनीति में होता है. हम किसी भी स्थिति का सामना करने के लिए तैयार हैं.’ 


क्या सोचती है झामुमो
सोरेन की पार्टी झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) का मानना ​​है कि भाजपा ‘महाराष्ट्र की तरह’ सरकार गिराने के लिए उसके और कांग्रेस से विधायकों की खरीद फरोख्त के लिए गंभीर प्रयास कर सकती है और विधायकों को ‘सुरक्षित जगह’ में रखने की आवश्यकता है. 


जानबूझकर देरी के आरोप
झारखंड के सत्ताधारी दलों- झामुमो, कांग्रेस और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) - ने 28 अगस्त को एक संयुक्त बयान में राज्यपाल पर मुख्यमंत्री की विधानसभा की सदस्यता पर निर्णय की घोषणा में ‘जानबूझकर देरी’ करके राजनीतिक खरीद-फरोख्त को प्रोत्साहित करने का आरोप लगाया था.


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