नई दिल्लीः अडानी समूह के संबंध में हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट और समूह के शेयरों में गिरावट के मामले में जांच के निगरानी के लिए गठित समिति के प्रमुख उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति ए एम सप्रे हैं. न्यायमूर्ति सप्रे मध्य प्रदेश के रहने वाले हैं और 13 अगस्त, 2014 को उन्हें प्रोन्नत कर उच्चतम न्यायालय में भेजा गया था. वह 27 अगस्त, 2019 तक सेवा में थे. 


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सुप्रीम कोर्ट ने बनाई समिति
उच्चतम न्यायालय ने जांच के लिए गुरुवार को न्यायमूर्ति सप्रे की अध्यक्षता में छह सदस्यीय समिति के गठन का फैसला किया और समिति से दो महीने के अंदर सीलबंद लिफाफे में रिपोर्ट जमा करने को कहा. समिति के अन्य सदस्यों में भारतीय स्टेट बैंक के पूर्व अध्यक्ष ओ पी भट्ट हैं. वह इस समय तेल एवं प्राकृतिक गैस निगम लिमिटेड (ओएनजीसी), टाटा स्टील लिमिटेड और हिंदुस्तान यूनीलीवर के निदेशक मंडल में हैं. 


जानिए कौन हैं जेपी देवधर
बंबई उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश जे पी देवधर समिति के तीसरे सदस्य हैं. वह प्रतिभूति अपीलीय न्यायाधिकरण के पीठासीन अधिकारी रहे हैं. समिति के अन्य सदस्य के वी कामत ब्रिक्स देशों के न्यू डवलपमेंट बैंक के पूर्व प्रमुख हैं. वह इन्फोसिस के अध्यक्ष भी रहे हैं.


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समिति के पांचवें सदस्य नंदन नीलेकणी इन्फोसिस के सह-संस्थापक हैं. उन्होंने भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) का नेतृत्व भी किया था. समिति के छठे सदस्य वकील सोमाशेखरन सुंदरेशन हैं जो प्रतिभूति और नियामक विशेषज्ञ हैं. उनके नाम की सिफारिश हाल में बंबई उच्च न्यायालय का न्यायाधीश बनाने के लिहाज से केंद्र को भेजी गयी थी. केंद्र की आपत्ति के बाद उच्चतम न्यायालय के कॉलेजियम ने न्यायाधीश के रूप में नियुक्त करने के लिए उनका नाम दोहराया था. (इनपुट-एजेंसी)


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