नई दिल्लीः लगभग तीन दशकों तक माओवादी नक्सलियों का अभेद्य पनाहगाह रहे झारखंड के बूढ़ा पहाड़ पर पहली बार तिरंगा फहराया गया. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने शुक्रवार को यहां तिरंगा फहराने के साथ ही इस पहाड़ और आसपास के 22 गांवों के विकास के लिए 100 करोड़ की विशेष परियोजना 'बूढ़ा पहाड़ डेवलपमेंट प्रोजेक्ट' की लांचिंग की.


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सेना ने चलाया था ऑपरेशन
झारखंड और छत्तीसगढ़ की सीमा पर स्थित बूढ़ा पहाड़ को सीआरपीएफ और झारखंड पुलिस की ओर से संयुक्त रूप से चलाए गए 'ऑपरेशन डबल बुल' और 'ऑपरेशन ऑक्टोपस' के तहत नक्सलियों के कब्जे से बीते सितंबर महीने में मुक्त कराया गया था. 55 वर्ग किलोमीटर में फैले और झारखंड के साथ-साथ छत्तीसगढ़ के जंगलों से घिरे बूढ़ा पहाड़ पर पिछले 32 सालों से नक्सलियों का कब्जा था.


अमित शाह ने की थी तारीफ
सुरक्षा बलों द्वारा बूढ़ा पहाड़ को नक्सलियों से आजाद कराने को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह भी नक्सलवाद के खात्मे की दिशा में उल्लेखनीय कदम बता चुके हैं. शुक्रवार को घने जंगलों से घिरे इस पहाड़ पर बनाए गए अस्थाई हेलीपैड पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का हेलीकॉप्टर उतरा तो वहां मौजूद ग्रामीणों ने तालियां बजाकर खुशी का इजहार किया. सोरेन यहां पहुंचने वाले पहले मुख्यमंत्री हैं.


जवानों के साथ किया संवाद
पहाड़ की चोटी पर तिरंगा फहराने के बाद मुख्यमंत्री ने यहां तैनात सुरक्षा बलों और पुलिस के जवानों के साथ संवाद किया और दुरूह अभियान की सफलता पर उन्हें बधाई दी. कहा कि आपके कठिन अभियान की बदौलत इस पूरे इलाके में अब शांति है.


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सोरेन ने इसके बाद बूढ़ा पहाड़ की तराई में स्थित टेहरी पंचायत के ग्रामीणों से संवाद किया. उन्होंने बूढ़ा पहाड़ डेवलपमेंट प्रोजेक्ट के तहत स्थानीय लोगों के बीच मिनी ट्रैक्टर, पंपसेट, बीज, कृषि संबंधी किट, राशन किट, फुटबॉल किट, साइकिल आदि का वितरण किया.


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