नई दिल्लीः यूपी का पूर्वांचल जुर्म की ऐसी अनगिनत कहानियां अपने भीतर समेटे हुए है, जिसके पन्नों को पलटते ही डर, रोमांच और जिज्ञासा तीनों अपने आप पनपने लगते हैं. यहां के बाहुबलियों के अपराध की दुनिया की खासियत यही है कि इनकी कहानियों को आप जितना ज्यादा सुलझाने की कोशिश करेंगे उतना ही आप उलझते चले जाएंगे.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING


लेकिन हर कहानी की तरह यहां भी एक हिस्सा दूसरे से जुड़ा है. दरअसल, पूर्वांचल की धरती एक बार फिर इस वजह से चर्चा में है क्योंकि यूपी के चित्रकूट की जेल शुक्रवार को खूनी अखाड़े का मैदान बन गई. जहां अपराध का नंगा नांच करने वाले तीन बड़े चेहरे आपस में ही लड़कर हमेशा के लिए मौत की नींद सो गए. इसी में एक चेहरा था मेराज उर्फ मेराजुद्दीन जिसके साथ ताजा हो गई कई पुरानी अदावतें और उन अदावतों के जिम्मेदार.


आइए जानते हैं कि आखिर कौन था मेराज...


मुख्तार का करीबी था मेराज अपराध की दुनिया में मेराज का नाम नया नहीं है. दशकों से मेराज ने जुर्म को अपना पेशा बना रखा है. यही नहीं बताते हैं कि पूर्वांचल के डॉन कहे जाने वाले मुख्तार अंसारी का मेराज खास आदमी था. हत्या, लूट और उगाही के दर्जनों केस मेराज पर दर्ज थे.


कृष्णानंद राय की हत्या में भी आया था नाम
गाजीपुर के रहने वाले बीजेपी विधायक कृष्णानंद राय की 2005 में हुई हत्या ने पूर्वांचल के साथ ही पूरे यूपी और देश को हिला कर रख दिया था. इस हत्याकांड को दिनदहाड़े जिस तरह से अंजाम दिया गया था उसे देखकर सभी की रूह कांप गई थी. बताते हैं कि अत्याधुनिक हथियारों से करीब हजारों राउंड फायर किए गए थे.



जिसकी वजह से बेहद चुस्त सुरक्षा घेरे में रहने वाले कृष्णानंद राय की जान नहीं बची थी. इस हत्याकांड के बाद दो नाम खूब चर्चा में आए थे. एक था मुन्ना बजरंगी तो दूसरा नाम था मुख्तार अंसारी. कहा जाता है कि मुख्तार के ही इशारे पर मुन्ना ने राय की हत्या की. लेकिन इस हत्याकांड में मेराज का नाम भी सामने आया था.


मुन्ना बजरंगी की मौत के बाद मेराज का बढ़ा था कद
मूलरूप से गाजीपुर जिले के रहने वाले मेराज का कद मुन्ना बजरंगी की मौत के बाद बढ़ गया था. बताते हैं कि बजरंगी की मौत के बाद उसकी अपराध की विरासत को संभालने वालों में मेराज का नाम सबसे आगे चल रहा था.



इसी बीच मेराज के मुख्तार से भी नजदीकियों के किस्से सामने आए. लेकिन मेराज का हश्र भी बजरंगी की तरह की हुआ. बता दें कि बजरंगी की भी हत्या बागपत जेल में ही एक कैदी ने कर दी थी.


बनारस में किया था सरेंडर
मेराज ने पिछले साल ही बनारस में सरेडर किया था. उसपर आरोप था कि उसने फर्जी दस्तावेजों के सहारे कई हथियार जुटाए थे. लेकिन दिलचस्प बात यह है कि 20 मार्च 2021 को वाराणसी जेल से चित्रकूट जेल मेराज का ट्रांसफर हुआ था.


यह भी पढ़िएः चित्रकूट जेल में गैंगवार, आपस में लड़ मरे खूंखार अपराधी मुकीम काला, मेराज और अंशु दीक्षित


पुलिस ने जब्त की थी मेराज की 50 लाख की संपत्ति
मेराज की 50 लाख रुपये मूल्य से ज्यादा की संपत्ति पिछले साल पुलिस ने जब्त की थी. मूल रूप से गाजीपुर जिले के करीमुद्दीनपुर थाना अंतर्गत महेन का निवासी और वाराणसी में पहड़िया क्षेत्र की अशोक विहार कॉलोनी में रहने वाले मेराज ने फर्जी दस्तावेज के आधार पर विभिन्न थाना क्षेत्रों से कई शस्त्र लाइसेंस बनवाए गए थे.


70 किलोमीटर की दूरी पर मुख्तार
चित्रकूट से बांदा की दूरी महज 70 किमी है. बांदा का जिक्र इसलिए अहम है क्योंकि यहां की जेल में मुख्तार अंसारी बंद है, जिसे हाल ही में लंबी जद्दोजहद के बाद योगी सरकार ने पंजाब की जेल से यूपी शिफ्ट किया है.



अंसारी की पत्नी लगातार आरोप लगाती रही हैं कि उनके पति की जान को खतरा है.


चित्रकूट जेल में क्या हुआ
बताते हैं कि चित्रकूट जेल में अंशु दीक्षित नामक एक बदमाश ने सुबह लगभग 10 बजे मुकीम काला और मेराज अली को गोली मार दी. उसने 5 अन्य बंदियों को अपने कब्जे में कर लिया और उन्हें जान से मारने की धमकी देने लगा. मौके पर पहुंची पुलिस ने उसे भी गोली मार दी. 


Zee Hindustan News App: देश-दुनिया, बॉलीवुड, बिज़नेस, ज्योतिष, धर्म-कर्म, खेल और गैजेट्स की दुनिया की सभी खबरें अपने मोबाइल पर पढ़ने के लिए डाउनलोड करें ज़ी हिंदुस्तान न्यूज़ ऐप.