न्यूज़ के नाम पर ज़हर फैला रहे वामपंथी पत्रकार और `मीडिया के जेहादी`
जब से ज़ी मीडिया ने कश्मीर के जेहादियों को एक्सपोज किया है तब से मीडिया के जेहादी भड़के हुए हैं. देश के महामहिम राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने पूर्व चीफ जस्टिस रंजन गोगोई को राज्यसभा के लिये नामित किया तो अंग्रेजी के एक टेलीग्राफ नामक अखबार ने राष्ट्रपति की तुलना कोरोना वायरस से कर दी.
दिल्ली: भारत में कई ऐसे मीडिया संस्थान हैं जो खुद को लिबरल तो कहते हैं लेकिन पूरी तरह लेफ्ट के नेताओं और 'टुकड़े टुकड़े गैंग' के चरणों में लोटते हैं. इनके दिल में भारत के संविधान और संवैधानिक पदों पर बैठे लोगों के लिये इतना जहर भरा है कि ये उनका अपमान करने के लिये किसी भी हद तक जा सकते हैं. राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने पूर्व मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई को राज्यसभा के लिए नामित किया है. इससे कई लेफ्ट पोषित अखबार और न्यूज चैनल्स बिलबिला गये हैं. अंग्रेजी के एक टेलीग्राफ नामक अखबार ने वंचित परिवार में जन्में राष्ट्रपति की तुलना वायरस से कर दी.
हिंदू समुदाय से घृणा करता है ये वामी गैंग
टुकड़े टुकड़े गैंग के लिये विधवा विलाप करने वाले ये पत्रकार वर्षों तक हिंदू विरोध करने के लिये जेहादियों की वकालत करते रहे. इनमें से कई ने तो कांग्रेस की सरकारों के द्वारा पद्म पुरस्कार तक हासिल किये. हाल ही में जब ज़ी न्यूज़ ने अपने प्राइमटाइम शो डीएनए में जमीन हड़पने के लिये कश्मीर में चल रहे जेहाद के बारे में बताया था तो मीडिया के जेहादी और टुकड़े टुकड़े गैंग के समर्थन में मनहूस पत्रकारिता करने वाले डिजाइनर पत्रकारों की दिल में आग लग गई और ये लोग तरह तरह के झूठे आरोप लगाने लगे.
जनता ने खूब पसंद किया था DNA
DNA के जिस एपिसोड में जमीन जेहाद की सच्चाई दिखाई गयी थी उसे देश भर को लोगों ने खूब पसंद किया था. ट्विटर पर उस दिन #Zameenjehad घंटों नंबर 1 पर ट्रेंड करता रहा था. लोगों ने देश विदेश में ज़ी मीडिया की तारीफ की थी क्योंकि उस एपिसोड से कश्मीर का ऐसा सच लोगों को पता चला जो इन दरवारी पत्रकारों ने और 'मीडिया के जेहादियों' ने कभी नहीं दिखाया. आपको बता दें कि पिछले 250 सप्ताह से ज़ी न्यूज़ का शो DNA नंबर 1 बना हुआ है. इसे ज़ी न्यूज़ के एडिटर इन चीफ और देश के सर्वश्रेष्ठ एंकर सुधीर चौधरी होस्ट करते हैं.
राष्ट्रपति के लिये लिखा वायरस
पूर्व प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई को राज्यसभा भेजने के मामले में भी द टेलीग्राफ ने सारी मर्यादा और गरिमा को ताक पर रख दिया है. देश विरोध का एजेंडा चलाने वाले इन वामपंथी अखबारों की दलितों के प्रति नफरत की पराकाष्ठा का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इन्होंने देश के प्रथम नागरिक राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को ही वायरस कह दिया. अब आप समझ सकते हैं जो लेफ्ट मीडिया संस्थान राष्ट्रपति की तुलना वायरस से कर सकता है, उनके मन में दलितों के लिए कितनी नफरत भरी होगी और वे भारत के संविधान का कितना सम्मान करते होंगे.
'दंगाई' शाहरुख को बताया मजबूर
वामपंथियों की गोद में बैठकर देश में नफरत फैलाने वाली 'डूबती' वेबसाइट द प्रिंट ने दंगाई शाहरुख को मजबूर बताया था और लिखा था कि शाहरुख भीड़ में अपनी बहन को बचाने गया था, इसलिये उसने मजबूरी में पुलिस पर पिस्तौल तान दी थी. ‘स्क्रॉल’ जैसी 'डूबती' वेबसाइट ने दिल्ली के दंगों में मुसलमानों को भड़काने के लिये झूठी खबरें चलाई थीं. आपको बता दें कि हमने इसे डूबती वेबसाइट इसलिए कहा क्योंकि कोई भी आम आदमी इन वेबसाइट के बारे में जानता तक नहीं है. इनका कंटेंट इतना भड़काऊ और बेहूदा होता है कि कोई भी उसे नहीं पढ़ता लेकिन फिर भी इनके झूठ को फैलने से रोकने के लिये इनका समाजिक बहिष्कार करने की जरूरत है.
राष्ट्रहित की बात करने वालों को बनाते हैं निशाना
भारत की उन्नति और प्रगति की बात करने वाले ज़ी मीडिया जैसे राष्ट्रवादी मीडिया संस्थानों को निशाना बनाना इनका एक मात्र काम है. ये लोग दिल्ली में हुए भीषण दंगों में खुले आम पुलिस पर पिस्तौल तानने वाले कट्टरपंथी शाहरुख का बचाव करते हैं और हिंदुओं को बदनाम करने के लिये इन डिजाइनर पत्रकारों ने दंगाई शाहरुख का नाम अनुराग मिश्रा बता दिया था. इसके बाद अनुराग ने पुलिस में इनके झूठ के खिलाफ प्राथमिकी भी दर्ज कराई थी.
आतंकियों का समर्थन करते हैं वामी पत्रकार
मकबूल भट्ट, अफजल गुरू और याकूब मेमन जैसे आतंकवादियों के लिये ये दरबारी पत्रकार अपने आंसू बहाते हैं और इन्हें शहीद बताते हैं जबकि इन कुख्यात आतंकियों को देश की सर्वोच्च अदालत ने फांसी दी थी. इन्हीं दरबारी और पत्रकारों और मीडिया के जेहादियों ने कांग्रेस के हिंदू आतंकवाद को प्रमोट करने के लिये कैंपेन चलाया था. गुजरात दंगों के नाम पर इन लोगों ने अपनी दुकानें चलाई और देस में डर का माहौल बनाया था.
जब से इन वामपंथी पत्रकारों के अन्नदाता सत्ता से बाहर हुए हैं तब से ये लोग देश में अल्पसंख्यकों को भड़का रहे हैं और देश तोड़ने वालों का समर्थन कर रहे हैं. उल्लेखनीय बात ये है कि इन डिजाइनर पत्रकारों को पाकिस्तान में बहुत लोकप्रियता मिलती है. दरबारी पत्रकारों और मीडिया के इन जेहादियों की बातें पाकिस्तान को खूब पसंद आती हैं और पाकिस्तान इनकी कही बातों को भारत के खिलाफ इस्तेमाल करता है. खुद पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान इन लोगों की तारीफ कर चुके हैं.
ये भी पढ़ें- कोरोना के बर्बादी की कगार पर पाकिस्तान! अबतक 185 से ज्यादा मरीज