नई दिल्लीः लोकसभा की कार्यवाही विपक्ष के भारी हंगामे के कारण बुधवार को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित हो गई. इसी के साथ सदन में मानसूत्र सत्र की कार्यवाही तय समय से दो दिन पहले ही खत्म हो गई. पेगासस जासूसी विवाद, कृषि कानूनों और अन्य मुद्दों को लेकर विपक्ष शुरू से ही विरोध कर रहा था. सत्र की शुरुआत 19 जुलाई से हुई थी और इसे 13 अगस्त तक चलना था.


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लोकसभा स्पीकर ने जताया दुख


सदन स्थगित करने के बाद लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने प्रेस वार्ता में कहा कि 17वीं लोकसभा का छठवां सत्र आज सम्पन्न हुआ. इस सत्र में अपेक्षाओं के अनुरुप सदन का कामकाज नहीं हुआ. इसे लेकर मेरे मन में दुख है. मेरी कोशिश रहती है कि सदन में अधिकतम कामकाज हो, विधायी कार्य हो और जनता से जुड़े मुद्दों पर चर्चा हो. हालांकि, इस बार लगातार गतिरोध रहा. ये गतिरोध समाप्त नहीं हो पाया. 


20 विधेयक पारित
उन्होंने कहा कि पिछले दो वर्ष संसद के कामकाज की दृष्टि से अधिक उत्पादकता वाले रहे. इस बार कुल उत्पादकता 22 फीसदी रही. 20 विधेयक पारित हुए. सभी संसद सदस्यों से अपेक्षा रहती है कि हम सदन की कुछ मर्यादाओं को बनाए रखें. हमारी संसदीय मर्यादाएं बहुत उच्च कोटि की रही हैं. मेरा सभी सांसदों से आग्रह है कि संसदीय परंपराओं के अनुसार सदन चले. तख्तियां और नारे हमारी संसदीय परंपराओं के अनुरुप नहीं हैं.


जमकर हुआ हंगामा
इस सत्र के दौरान ज्यादातर दिनों में प्रश्नकाल के दौरान हंगामा ही हुआ. इसके बावजूद सरकार संविधान संशोधन विधेयक सहित कई विधेयकों को पारित करने में सफल रही, जिनमें राज्यों को अपनी ओबीसी सूची बनाने की अनुमति देने वाला विधेयक भी शामिल है. अनिश्चितकाल के लिए स्थगन से पहले, सदन ने चार पूर्व सदस्यों को भी श्रद्धांजलि दी, जिनका हाल ही में निधन हो गया था. इस दौरान सदन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी मौजूद थे.


अधीर रंजन का आरोप
इस बीच कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि लोकसभा को इसकी निर्धारित तिथि 13 अगस्त से पहले अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया है. सरकार ने इसे स्थगित करने का अचानक निर्णय लिया. महत्वपूर्ण मुद्दों पर कोई चर्चा नहीं हुई. यह केवल विपक्ष को बुरा साबित करने के लिए किया गया है. सरकार और सत्तारुढ़ पार्टी की तरफ से हमारे खिलाफ शिकायत दर्ज करने में कोई कमी नहीं होगी, क्योंकि उनका एक ही मकसद है विपक्ष को छोटा दिखाना और सच को गुमराह करना.


उन्होंने कहा कि बार-बार गुहार लगाने के बाद भी सरकार ने सदन में पेगासस पर चर्चा का मौका नहीं दिया. अंतिम दिन तक चर्चा नहीं हुई. सरकार राज्यसभा और लोकसभा में पेगासस पर अलग-अलग बयान देती है. इस पर रक्षा मंत्रालय, विदेश मंत्रालय और सूचना और प्रसारण मंत्रालय अलग-अलग बयान देते हैं.


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