नई दिल्ली: Imroz Love Story: कवि और कलाकार इमरोज का निधन हो गया. 97 साल की उम्र में इमरोज दुनिया को अलविदा कह गए. उनके नाम के आगे लिखी तमाम उपमाएं उनके किरदार के आगे छोटी हैं. इमरोज एक 'निस्वार्थ प्रेमी' थे. इमरोज जानते थे कि जिस पर मैं दुनिया लुटा रहा हूं, उसकी जिंदगी कोई और है. जिंदगीभर इमरोज एक ऐसे प्रेमी बने रहे जो इससे वाकिफ थे कि उनकी प्रेमिका तो किसी और से प्रेम करती है. कितना ही मुश्किल होता है उस बाजी को शिद्दत से खेलते रहना, जहां हार तय होती है. शायद इसी का नाम इश्क है. ऐसा ही इश्क इमरोज ने अमृता से किया था. 


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कैसे हुई अमृता से पहली मुलाकात
यह उस वक्त की बात है जब अमृता प्रीतम और साहिर के बीच फासले बढ़ गए. अमृता साहिर से बेतहाशा इश्क करती थीं. साहिर के जाने जे बाद अमृता पूरी तरह टूटकर बिखर गईं. इस दौरान अमृता को अपनी किताब के कवर को डिजाइन करवाना था, इसके लिए उन्हें एक हुनरमंद कलाकार की जरूरत थी. इसी दौरान उनकी मुलाकात इमरोज से हुई. जब इमरोज को अमृता मिलीं तो वो अपने ही ख्यालों में खोई हुई रहती थी. अमृता को न तो दिन उगने का इल्म था और न ही रात ढलने का. लेकिन इमरोज ने अमृता को फिर से जीना सिखाया. 


लोगों ने मान लिया था अमृता का ड्राइवर 
अमृता को देर रात तक लिखना पसंद था. इमरोज रात को एक बजे भी अमृता के लिए चाय बनाते थे, ताकि अमृता को लिखते-लिखते थकान महसूस न हो. इमरोज अमृता के लिए इस कद्र पागल थे कि जब अमृता राज्यसभा की सदस्य बनीं और वे संसद में जाती तो इमरोज बाहर ही बैठे रहते. लोगों को लगने लगा कि ये अमृता प्रीतम के ड्राइवर हैं. 


'उसने जिस्म छोड़ा, साथ नहीं'
इमरोज ने एक इंटरव्यू में बताया था कि अमृता की उंगलियां हमेशा कुछ न कुछ लिखती रहती थीं. फिर चाहे उनके हाथ में कलम हो या न हो. उन्होंने कई बार मेरी पीठ पर उंगलियों से 'साहिर' का नाम लिख दिया. लेकिन क्या फर्क पड़ता है. वो उन्हें चाहती हैं तो चाहती हैं. मैं भी उन्हें चाहता हूं. अमृता की मौत के बाद इमरोज कवि बन गए. उन्होंने अमृता के जाने के बाद लिखा, 'उसने जिस्म छोड़ा है, साथ नहीं.' 


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