नई दिल्ली: पंजाब में लुधियाना जिले के ग्यासपुरा इलाके में एक भीषण हादसा हुआ है. इस हादसे में जहरीली गैस लीक होने से 4 बच्चों समेत 11 लोगों की मौत हो गई.  ये हादसा इतना भयानक था कि अभी भी 11 लोग बेसुध हालत में पड़े हुए हैं. फिलहाल हालत को देखते हुए NDRF ने पूरे इलाके को सील कर दिया है. इस हादसे में मरने वालो में 5 महिलाए,6 पुरुष और 10 और 13 साल के 2 बच्चे शामिल हैं. 


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गैस लीक से मरे कई लोग 
बता दें कि गैस लीक जिले के एक किराना की दुकान से हुई. बताया जा रहा है कि दुकान में चार बड़े डीप फ्रीजर रखे थे जिनमें सुबह साढ़े सात बजे गैस लीक हो गई. इस दौरान दुकान में जितने भी लोग आए थे उन सभी की मौत हो गई. यहां तक कि लोगों के बचाव में आने वाले भी इस हादसे का शिकार हो गए. लुधियाना में हुआ ये गैस कांड कोई पहला या दूसरा गैस कांड नहीं है. ऐसा हादसा देश में  पहले भी कई बार हो चुका है. जिसमें मुख्य रूप से 1984 में हुई भोपाल गैस त्रासदी और साल 2020 में हुई विशाखापट्‌टनम गैस लीक ट्रैजडी शामिल है. 


भयावह थी भोपाल गैस त्रासदी 
भोपाल गैस त्रासदी की गिनती सबसे खतरनाक औद्योगिक दुर्घटना में होती है. यह घटना आज भी लोगों को झकझोर कर रख देती है. इस घटना में मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में यूनियन कार्बाइड की फैक्ट्री में मिथाइल आइसोसाइनेट गैस लीक हो गई थी. दरअसल फैक्ट्री के टैंक नंबर 610 में जहरीली मिथाइल आइसोसाइनेट गैस पानी से मिल गई जिससे टैंक में दबाव बन गया और वो खुल गया. इस हादसे ने हजारों लोगों की जान ले ली थी. बता दें कि इस घटना का असर इतना ज्यादा था कि इससे  लाखों लोग विकलांग बन बन गए. 



यहां तक की हादसे का शिकार बने परिवारों की दूसरी और तीसरी पीढ़ी आज तक विकलांग पैदा हो रही है. एक रिपोर्ट के मुताबिक इस दुर्घटना ने लगभग 15 हजार लोगों की जान ली थी, जबकि 5 लाख से ज्यादा लोग अपंग हुए थे. बता दें कि इस हादसे का शिकार सबसे ज्यादा फैक्ट्री के आस-पास की झुग्गी-बस्ती में रहने वाले लोग हुए थे. ये सभी नौकरी की तलाश में दूर दराज से यहां पहुंचे थे.  


विशाखापट्टनम में जहरीली गैस का शिकार हुए थे लोग 
आंध्र प्रदेश के विशाखापट्टनम में भी साल 2020 में भोपाल गैस त्रासदी जैसी ही एक घटना हुई थी. इस घटना में 7 मई को सुबह 3 बजे एलजी के पॉलिमर प्लांट में स्टाइरीन नाम का एक सिंथेटिक केमिकल क रिसाव हुआ जिसके चलते लगभग 11 लोगों की मौत हो गई. आसपास का पूरा गांव इस हादसे की चपेट में आया था. उस समय गैस के दुष्प्रभाव से बचाने के लिए आसपास के 6 गांवों को खाली करवाया गया था.



यह हादसा इतना भयावह था कि इसके शिकार जानवरों के मुंह से झाग निकल रहे थे. 


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