महात्मा गांधी के परपोते तुषार गांधी ने कहा, नोट से तस्वीर हटाने पर होगा सरकार का आभार
महात्मा गांधी के प्रपौत्र तुषार गांधी ने सोमवार को कहा कि अगर भारतीय मुद्रा नोटों से महात्मा की तस्वीर हटा दी जाती है तो वह राजग सरकार के आभारी होंगे. उन्होंने कहा, यदि वे महात्मा गांधी की छवि को करेंसी नोटों से हटाते हैं, तो मैं वर्तमान सरकार के प्रति आभारी रहूंगा, क्योंकि यह सिर्फ एक छवि है.
नई दिल्ली: महात्मा गांधी के प्रपौत्र तुषार गांधी ने भारतीय करेंसी पर छपी महात्मा गांधी की तस्वीर पर एक बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा है कि अगर सरकार नोट पर छपी तस्वीर को हटाती है तो वे सरकार के आभारी रहेंगे, क्योंकि वह केवल तस्वीर है न कि उनकी आत्मा.
क्या कहा तुषार गांधी ने
महात्मा गांधी के प्रपौत्र तुषार गांधी ने सोमवार को कहा कि अगर भारतीय मुद्रा नोटों से महात्मा की तस्वीर हटा दी जाती है तो वह राजग सरकार के आभारी होंगे. उन्होंने कहा, "यदि वे महात्मा गांधी की छवि को करेंसी नोटों से हटाते हैं, तो मैं वर्तमान सरकार के प्रति आभारी रहूंगा, क्योंकि यह सिर्फ एक छवि है और मोहनदास करमचंद गांधी या उनकी आत्मा नहीं है, न ही यह किसी विचारधारा का प्रतिनिधित्व करती है."
महात्मा गांधी एक विचारधारा थे
महात्मा गांधी के प्रपौत्र तुषार गांधी गुजरात के वडोदरा में एक सवाल के जवाब में मीडियाकर्मियों से कहा, "बापू एक विचारधारा थे, उस विचारधारा को अमर रहना चाहिए, हमें करेंसी नोटों पर उनकी तस्वीर की जरूरत नहीं है. अगर सरकार बापू की तस्वीर हटाती है, तो मैं पहली और आखिरी बार इस सरकार का समर्थन करूंगा."
तुषार गांधी ने यह भी कहा कि जब से सत्ताधारी दल सत्ता में आया है, तब से वह इतिहास को फिर से लिखने में लगे हुआ है और सरकारी मशीनरी उस इतिहास को मिटाने में सक्रिय है, जिसे सत्ताधारी नापसंद करते हैं. उन्होंने कहा, "महात्मा गांधी की हत्या के पीछे जो लोग थे. अगर वे महात्मा गांधी की प्रशंसा नहीं करते हैं और उनके बारे में अच्छा नहीं बोलते हैं, तो यह समझ में आता है."
वीर सावरकर को लेकर दिया ये बयान
महात्मा गांधी के प्रपौत्र तुषार गांधी ने दावा किया है कि स्वतंत्रता सेनानी विनायक दामोदर सावरकर ने राष्ट्रपिता की हत्या के लिए नाथूराम गोडसे को एक ''कारगर बंदूक'' खोजने में मदद की थी. तुषार गांधी ने ट्वीट किया, "सावरकर ने न केवल अंग्रेजों की मदद की, उन्होंने बापू की हत्या के लिए नाथूराम गोडसे को एक कारगर बंदूक खोजने में भी मदद की. बापू की हत्या से दो दिन पहले तक गोडसे के पास एम के गांधी की हत्या के लिए एक विश्वसनीय हथियार नहीं था."
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