नई दिल्ली: पश्चिम बंगाल में कोरोना मरीजों के मौत के आंकड़े पांव तले की जमीन खिसकानेवाले हैं.  केंद्र सरकार की इंटर मिनिस्ट्रियल सेंटर टीम ने खुलासा किया है कि पश्चिम बंगाल में ममता सरकार कोरोना के सच पर पर्दा डाल रही है.  जिस वजह से यहां हालात गंभीर होने लगे हैं. 


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चार गुनी संख्या में हो रही हैं मौतें 
पश्चिम बंगाल में हालात बेहद गंभीर हो रहे हैं. पूरे देश में इस वक्त कोरोना मरीजों की औसत मृत्यु  दर (तीन दशमलव दो) 3.2 प्रतिशत है. लेकिन केंद्र की टीम की जांच में पता चला है कि इस वक्त पश्चिम बंगाल में कोविड-19 की वजह से होने वाली मौत की दर 12.8 प्रतिशत यानी चार गुनी है.   राज्य  के मुख्य सचिव राजीव सिन्हा को लिखी गई चिट्ठी में इंटर मिनिस्ट्रियल टीम ने इन आंकड़ों का जिक्र किया है. जिसके बाद हड़कंप मच गया है. 



केन्द्र सरकार ने जांच के लिए भेजी थी टीम
पश्चिम बंगाल में आबादी का घनत्व बेहद ज्यादा है. ऐसे में वहां कोरोना वायरस का नियंत्रण के बाहर होने बेहद खतरनाक हो सकता है. वहां करोनो के मरीजों की मृत्यु दर ज्यादा होने के बारे में अनुमान पहले से लगाया जा रहा था. इसी की जांच के लिए केन्द्र सरकार ने एक टीम भेजी थी. जिसने राज्य के विभिन्न इलाकों का दौर करके एक जांच रिपोर्ट तैयार की. 
इस जांच टीम(IMCT) के अध्यक्ष विनीत जोशी ने बताया कि 'हम 15 दिन बाद पश्चिम बंगाल से जा रहे हैं. हमने कई जगहों का दौरा किया और इसके आधार पर रिपोर्ट तैयार की है.  जिसे हम केंद्र सरकार को सौंपेंगे. शुरूआती अनुमान से साफ है कि यहां कोरोना से लड़ने के प्रयासों में तेजी लाने की जरूरत है. 


राज्य सरकार ने जांच टीम से किया असहयोग
राज्य में केंद्र की दो टीमों ने पश्चिम बंगाल के उन इलाकों के दौरे किए, जहां कोरोना के खतरे की सबसे ज्यादा चर्चा रही थी. इसमें राजधानी कोलकाता से सटे हावड़ा सहित दार्जिलिंग, कलिम्पोंग और जलपाईगुड़ी में जांच की गई. लेकिन इस दौरान राज्य सरकार के अधिकारियों ने कई जगहों पर केन्द्रीय टीम से असहयोग किया और उन्हें किसी तरह का कोई रेस्पॉन्स नहीं दिया.. यहां तक कि उन्हें पीपीई किट तक उपब्ध नहीं कराए गए. राज्य सरकार के अधिकारियों ने केंद्र की टीम से ना तो मुलाकात की और ना ही दस्तावेज दिखाए. 


सच छिपा रही है ममता सरकार 


केन्द्रीय टीम की जांच के बाद ममता सरकार घिर गई है. उस पर सच को छिपाने के आरोप लग रहे हैं.  यहां तक कहा गया कि टीएमसी सरकार कोरोना को लेकर देश को अंधेरे में रखना चाहती है. क्योंकि उसने इस महामारी की रोकथाम और जांच के सही इंतजाम नहीं किए. 
जांच इंटर मिनिस्ट्रियल कमिटी के सदस्य अपूर्व चंद्र ने पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव राजीव सिन्हा को लिखी चिट्ठी में दावा किया है कि राज्य में 30 अप्रैल तक कोरोना से मरने वालों की कुल संख्या 105 है, जबकि पॉजिटिव मामलों की कुल संख्या 816 है. इस लिहाज से यहां पूरे देश के मुकाबले कोरोना मरीजों की मृत्यु दर सबसे अधिक है.  केन्द्रीय टीम का आरोप है कि पश्चिम बंगाल सरकार कम से कम सैंपल की जांच कर रही है. 


इस तरह से उठा सच से परदा
ममता सरकार ने 3 मई की शाम को जारी हेल्थ बुलेटिन में कोरोना से मौत की तादाद सिर्फ 50 बताई थी. लेकिन सेंटर की टीम ने कोरोना को लेकर राज्य सरकार के आंकड़ों पर सवाल खड़े किए हैं. मुख्य सचिव को भेजी चिट्ठी में कहा गया है कि 30 अप्रैल को राज्य सरकार के हेल्थ बुलेटिन में कोरोना मरीजों की संख्या 572 बताई गई थी. जबकि उसी दिन केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव को भेजी गई चिट्ठी में 931 मामले होने की जानकारी दी थी.  ये गैर जिम्मेदाराना है. 


तुष्टिकरण के वजह से बंगाल में बिगड़ा मामला
ममता सरकार  जमीन पर सख्ती करने को लेकर सवालों में घिरती रही है. कई जगहों पर मजहबी स्थलों पर भीड़ की तस्वीरें लगातार सामने आती रहीं. यहां तक कि हावड़ा में पुलिसकर्मियों पर पथराव तक किया गया. ममता सरकार के इस रुख के पीछे वोटबैंक की राजनीति को वजह बताया जा रहा है. 
बंगाल के प्रमुख विपक्षी दल भाजपा बीजेपी का आरोप है कि ममता की पार्टी टीएमसी आनेवाले नगर निकाय चुनाव और उसके बाद विधानसभा चुनाव को लेकर अपने मुस्लिम वोट बैंक को नाराज नहीं करना चाहती. इसलिए उनके मजहबी जमावड़े को रोका नहीं गया है जिसकी वजह से कोरोना फैलता जा रहा है. 


लेकिन सत्तारुढ़ टीएमसी इन आरोपों को पूरी तरह नकार रही है. इंटर मिनिस्ट्रियल टीम की तरफ से दिए गए पश्चिम बंगाल में मृत्यु दर के खौफनाक आंकड़े को पार्टी ने पूरी तरह खारिज कर दिया है.  इसे टीएमसी झूठा बता रही है.