नई दिल्ली: पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बृहस्पतिवार को भाजपा नीत केंद्र सरकार पर अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) प्रमुख पद के लिए पूर्व भारतीय क्रिकेट कप्तान सौरव गांगुली का नामांकन नहीं भेजकर उन्हें इस प्रक्रिया से वंचित करने का आरोप लगाया. उन्होंने इसे ‘शर्मनाक राजनीतिक प्रतिशोध’ की कार्रवाई करार दिया. 


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ममता ने प्रकरण को कहा शर्मनाक राजनीतिक प्रतिशोध का मामला


बनर्जी ने कहा कि अगर प्रसिद्ध क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर को भी इस तरह वंचित रखा जाता तब भी वह यही बात कहतीं. उन्होंने आरोप लगाया कि गांगुली को ‘किसी और के हितों को सुरक्षित रखने के लिए’’ चुनाव लड़ने तक का मौका नहीं दिया गया. 


उन्होंने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘उन्हें आईसीसी में क्यों नहीं भेजा गया? यह किसी के हितों को (क्रिकेट बोर्ड में) साधने के लिए किया गया. मैंने अनेक भाजपा नेताओं से बात की, लेकिन उनका नाम नहीं भेजा गया. उन्हें वंचित किया गया है. यह शर्मनाक राजनीतिक प्रतिशोध का मामला है.’’ 


ममता ने पीएम मोदी से की मामले में हस्तक्षेप करने की अपील


तृणमूल कांग्रेस अध्यक्ष ने इस सप्ताह की शुरुआत में गांगुली को भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) के अध्यक्ष के रूप में दूसरा कार्यकाल नहीं मिलने पर हैरानी जताते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से इस मामले में हस्तक्षेप का अनुरोध किया था ताकि गांगुली को आईसीसी प्रमुख के पद के लिए चुनाव लड़ने की अनुमति मिल जाए. 


गांगुली की जगह पूर्व क्रिकेट खिलाड़ी रोजर बिन्नी को बीसीसीआई का 36वां अध्यक्ष चुना गया है. हालांकि, बीसीसीआई की मंगलवार को हुई जिस एजीएम में यह फैसला लिया, उसमें आईसीसी चुनाव के विषय पर बातचीत नहीं हुई. 


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