Manipur Violence: साल 2011 में भी जला था मणिपुर, असम के सीएम बोले- इतने दिन तक चुप थे मनमोहन और सोनिया
Manipur Violence: असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने शनिवार को कई ट्वीट पोस्ट करके मणिपुर मुद्दे पर कांग्रेस पर हमला तेज कर दिया. असम के सीएम ने मणिपुर में बार-बार होने वाली आर्थिक नाकेबंदी का जिक्र करते हुए कहा कि साल 2011 में यूपीए के कार्यकाल के दौरान 120 दिनों से अधिक समय तक ली आर्थिक नाकेबंदी के कारण मणिपुर में पेट्रोल और एलपीजी की कीमतें आसमान छू गई थीं.
नई दिल्लीः Manipur Violence: असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने शनिवार को कई ट्वीट पोस्ट करके मणिपुर मुद्दे पर कांग्रेस पर हमला तेज कर दिया. असम के सीएम ने मणिपुर में बार-बार होने वाली आर्थिक नाकेबंदी का जिक्र करते हुए कहा कि साल 2011 में यूपीए के कार्यकाल के दौरान 120 दिनों से अधिक समय तक ली आर्थिक नाकेबंदी के कारण मणिपुर में पेट्रोल और एलपीजी की कीमतें आसमान छू गई थीं.
हालांकि पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी ने उन संकट के समय एक भी शब्द नहीं बोला था.
पार्टी का दोहरापन चिंताजनक हैः हिमंत
उन्होंने ट्विटर पर लिखा, 'कांग्रेस अचानक मणिपुर में अत्यधिक रुचि दिखा रही है. थोड़ा पीछे मुड़कर राज्य में इसी तरह के संकटों पर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अपनी प्रतिक्रिया को देखना महत्वपूर्ण है. पार्टी का दोहरापन चिंताजनक है.' सरमा के मुताबिक, यूपीए के कार्यकाल में मणिपुर देश की नाकाबंदी राजधानी बन गया था. सरमा ने दावा किया कि 2010 और 2017 के बीच जब कांग्रेस ने राज्य में शासन किया, हर साल 30 दिन से लेकर 139 दिन तक नाकाबंदी होती थी.
उन्होंने यह भी कहा कि इनमें से प्रत्येक नाकेबंदी के दौरान पेट्रोल और एलपीजी की कीमतें 240 रुपये और 1,900 रुपये प्रति लीटर तक बढ़ गईं, जो पूरी तरह से मानवीय संकट में तब्दील हो गईं.
'2011 में 120 दिन से ज्यादा नाकेबंदी रही थी'
सरमा ने कहा, '2011 में मणिपुर में 120 दिनों से अधिक समय तक चलने वाली सबसे खराब नाकेबंदी देखी गई.' असम के मुख्यमंत्री ने दावा किया कि 2011 में, तत्कालीन प्रधान मंत्री मनमोहन सिंह और यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी ने उन 123 दिनों में एक शब्द भी नहीं बोला, जब मणिपुर जल रहा था.
2004 से 2014 के बीच 991 मौतों का दावा
उन्होंने यह भी दावा किया कि 2004 से 2014 के दौरान जब कांग्रेस देश और राज्य में शासन कर रही थी, तब मणिपुर में 991 से अधिक नागरिक और सुरक्षाकर्मी मारे गए थे. उन्होंने दावा किया कि मई 2014 से अब तक इस दुखद आंकड़े में 80 प्रतिशत की कमी आई है.
सरमा ने लिखा, 'मणिपुर में बहुजातीय संघर्षों से उत्पन्न दर्द की उत्पत्ति राज्य के प्रारंभिक वर्षों के दौरान कांग्रेस सरकारों की दोषपूर्ण नीतियों में है. सात दशकों के कुशासन से उत्पन्न दोष-रेखाओं को सुधारने में समय लगेगा.'
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