नई दिल्ली: देश के अलग-अलग हिस्सों में महिलाओं के खिलाफ बढ़ते अपराधों पर लगाम कसने के लिए केंद्र सरकार ने देश के सभी थानों को महिला हेल्प डेस्क से लैस करने की योजना बनाई है. गृह मंत्रालय ने आदेश दिया कि इन थानों में महिला हेल्प डेस्क के लिए कुल 100 करोड़ रुपए निर्भया  फंड के तहत दिया जाएगा. इन योजनाओं की जद देशभर के सभी राज्यों और सभी केंद्रशासित प्रदेशों तक है, जहां हर थानें में महिला सहायता डेस्क बनाए जाएंगे. 


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हर थाने में बनाए जाएंगे महिला हेल्प डेस्क



गृहमंत्रालय ने यह कहा कि पुलिस स्टेशनों में महिलाओं के अनुकूल माहौल बनाने के लिए महिला हेल्प डेस्क बनवाए जा रहे हैं. पुलिस स्टेशनों में महिलाओं के लिए एक अलग डेस्क बनाए जाने से यह फायदा होगा कि उनके लिए फास्ट ट्रायल शुरू किया जा सकेगा और शिकायत दर्ज न हो पाने वाले मामलों को भी हाशिए पर लाया जा सकता है. इस डेस्क पर मुख्य रूप से महिला पुलिसकर्मी ही तैनात की जाएगी. 


बड़े शहरों में अपराध के मामले बढ़ रहे हैं तेजी से 


मालूम हो कि हैदराबाद, उन्नाव, दिल्ली, बक्सर में महिलाओं के खिलाफ होने वाले संगीन जुर्म से देश दहल गया है, अपराधियों के मंसूबे बढ़ गए हैं और आखिरकार सरकार को कोई कदम उठाने के लिए मजबूर होना पड़ा है.



लेकिन सवाल यह है कि क्या महिला हेल्पलाइन या महिला डेस्क बना देने मात्र से अपराधों पर पाबंदी कसी जा सकती है? जवाब है नहीं. जरूरी है कि कुछ ऐसे ठोस कदम उठाने की और उसपर काम करते रहने की. 


और क्या जरूरी कदम उठाने चाहिए सरकार को


जैसे कि शहरों और छोटे कस्बों तक में निरीक्षण करते रहना, सीसीटीवी कैमरे से लैस करना, पुलिस पैट्रोलिंग की सेवा, महिलाओं को सेल्फ-डिफेंस के गुर सिखाए जाने की और सबसे अहम समाज की विकृत्त मानसिकता के इलाज की. लेकिन आखिर समाज की यह विकृत्त मानसिकता बदलेगी कैसे ? 


सोशल मीडिया पर परोसी जा रही सामाग्रियां भी कम दोषी नहीं



दरअसल, कुछ जानकारों का मानना है कि सोशल मीडिया इन घटनाओं को बढ़ाने में विलेन की भूमिका निभा रही है. सोशल मीडिया पर परोसी जा रही सामाग्रियां सेक्सुअलिटी को प्रोमोट करती हुई नजर आती हैं जिसकी वजह से उसे देख रहा इंसान काफी भ्रमित महसूस करता है. इसके अलावा सोशल मीडिया में गंदी और भद्दी साइटें एक एलग ही दुनिया बना रही है जिसमें महिलाओं को उपभोग की वस्तु दिखाया जाता है. इन साइट्स पर कड़े प्रतिबंध की सख्त जरूरत है. 


हालांकि, अब तक किए जा रहे प्रयास नाकाफी साबित हुए हैं. राष्ट्रीय अपराध अन्वेषण ब्यूरो की रिपोर्टें यह कहती हैं कि महिलाओं के खिलाफ अपराध लगातार बढ़े ही हैं कम नहीं हुए. ऐसी स्थिति में जरूरी है कि कुछ तरीके यूं भी अपनाएं जाएं जिससे नैतिक शिक्षा भी दी जा सके.