नई दिल्ली: Mirza Ghalib Birthday: देश में फिर से कोरोना फैल रहा है. इसे वर्तमान दौर की सबसे भयानक महामारी के तौर पर देखा जा रहा है. लेकिन ग़ालिब होते तो आज भी किस न किसी बात पर गुदगुदा ही देते. आज ग़ालिब की जयंती है. जितने ग़ालिब के शेर मशहूर हैं, उतनी ही उनकी चुटीली बातें भी पसंद की जाती हैं. 


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जब दुनिया में फैला हैजा
यह उन दिनों की बात है जब दुनिया में हैजा नामक महामारी फैली थी. यह सबसे पहले करीब 6 साल तक बनी रही. दुनिया ने पहली बार इसका प्रकोप साल 1817 में देखा था. इसके बाद 1829 में यह फिर आई. तीसरी बार 1840 में आई. फिर 1852 से 1923 तक यह करीब 4 बार फैली. इस दौरान दुनिया एकदम सहम गई थी. लोगों में हैजे का डर इतना बैठ गया कि घर से बाहर निकलना ही छोड़ दिया.


ग़ालिब ने कहा- कैसी वबा
मिर्ज़ा ग़ालिब भी महामारी के दौर में घर में बैठे-बैठे थक गए थे. 1868 का साल था, महामारी अपने चरम दौर पर थी. हर कोई घर से बाहर निकलने में डर महसूस कर रहा था. लेकिन मिर्जा घर में बैठे-बैठे उकता गए और बाहर जाने लगे. तभी उनकी बेग़म ने टोकते हुए कहा कि जल्दी लौट आना, बाहर वबा (महामारी) फैली हुई है. इस पर मिर्जा ने पलटकर कहा, कहां की वबा, कैसी वबा. मैं 71 साल का बुड्ढा हूं, तुम 69 साल की बुढ़िया हो. हम दोनों में से एक भी मरा होता तो मान लेता की वबा आई है. 


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