नई दिल्ली: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत ने बुधवार को कहा कि समाज में ‘असमानता’ अब भी मौजूद है क्योंकि लोगों ने करीब 2,000 वर्षों तक अधर्म को धर्म समझ रखा था. वह बीएपीएस स्वामीनारायण संप्रदाय के प्रमुख स्वामी शताब्दी समारोहों के हिस्से के तहत यहां 600 एकड़ से अधिक क्षेत्र में स्थापित प्रमुख स्वामी महाराज नगर में बोल रहे थे. प्रमुख स्वामी का 95 वर्ष की आयु में अगस्त 2016 में निधन हो गया था.


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कौन श्रेष्ठ है और कौन तुच्छ है?
आरएसएस प्रमुख ने अपने संबोधन में कहा, 'सामाजिक असमानता अब भी विद्यमान है क्योंकि हमने करीब 2,000 वर्षों तक अधर्म को धर्म समझ रखा था. अन्यथा, धर्म में यह अवधारणा नहीं होती है कि कौन श्रेष्ठ है और कौन तुच्छ है.'


भागवत ने कहा कि उपदेश देने के बजाय लोगों को अपने रोजमर्रा के जीवन में इसे व्यवहार में लाना चाहिए, जैसा कि प्रमुख स्वामी महाराज ने किया था. उन्होंने कहा कि किसी के परिवार, संपत्ति या शारीरिक मजबूती के बारे में झूठा गौरव लोगों को यह सोचने के लिए मजबूर करता है वे अन्य की तुलना में श्रेष्ठ हैं.


'सामाजिक असमानता धर्म का परिणाम नहीं'
मोहन भागवत ने कहा, 'सामाजिक असमानता धर्म का परिणाम नहीं है. हमारे संतों ने भी कहा है और यहां तक कि धार्मिक ग्रंथ भी इस अवधारणा का समर्थन नहीं करते हैं. हमें संतों का अनुसरण करने की जरूरत है.


हमें अपने अहम् से निपटने की जरूरत है क्योंकि यह हमें अपनी आदतें बदलने से रोकता है और इसी जगह संतों की भूमिका महत्वपूर्ण हो जाती है.'
(इनपुट: भाषा)


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