कमलनाथ को कांग्रेस के युवा नेता से मिल रही चुनौती, कौन बनेगा सीएम उम्मीदवार?
इस साल के अंत में मध्य प्रदेश में विधानसभा का चुनाव होने वाला है. इसे देखते हुए मध्यप्रदेश में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस ने अपनी-अपनी तैयारियां शुरू कर दी है. साल 2018 के विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व वाली भाजपा को बेदखल कर कांग्रेस ने 15 साल बाद सत्ता में वापसी की थी.
नई दिल्लीः इस साल के अंत में मध्य प्रदेश में विधानसभा का चुनाव होने वाला है. इसे देखते हुए मध्यप्रदेश में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस ने अपनी-अपनी तैयारियां शुरू कर दी है. साल 2018 के विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व वाली भाजपा को बेदखल कर कांग्रेस ने 15 साल बाद सत्ता में वापसी की थी. हालांकि, राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं को पूरा करने के चक्कर में कमलनाथ सरकार 15 महीनों के भीतर गिर गई.
चौथी बार MP के CM बने हैं शिवराज सिंह चौहान
साल 2020 के मार्च में ज्योतिरादित्य सिंधिया 22 कांग्रेस विधायकों के साथ भाजपा में आकर मिल गए और नई सरकार बनाई. फलस्वरूप मध्यप्रदेश में एक बार फिर भाजपा की सरकार बनी और शिवराज सिंह चौहान लगातार चौथी बार मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री बने. इसके साथ ही शिवराज सिंह चौहान मध्य प्रदेश की गद्दी पर सबसे अधिक दिनों तक राज करने वाले मुख्यमंत्री भी बन गए हैं.
BJP को इन दो नेताओं से मिल रही है चुनौती
इसके बाद से भाजपा को लगातार कांग्रेस के दो दिग्गज नेताओं, दो बार के सीएम दिग्विजय सिंह और पूर्व मुख्यमंत्री एवं प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ से चुनौती मिलती रही है. यहां पर कांग्रेस के लिए सबसे बड़ा सवाल यह है कि अगर वह अगर इस बार भी सत्ता में आने में कामयाब होती है तो क्या फिर एक बार मध्यप्रदेश में 2020 की कहानी दोहराई जा सकती है और अगर यह कहानी दोहराई जाती है तो इसमें मुख्य भूमिका किसकी होगी.
जीतू पटवारी के साथ कांग्रेस देख सकती है सत्ता की लड़ाई
इस विषय पर कुछ राजनीतिक पर्यवेक्षकों का दावा है कि कमलनाथ के नेतृत्व को चुनौती देने वाले पूर्व मंत्री जीतू पटवारी के साथ कांग्रेस एक और सत्ता की लड़ाई देख सकती है. मौजूदा समय में जीतू पटवारी इंदौर की राऊ विधानसभा सीट से विधायक हैं. पर्यवेक्षकों की मानें तो पिछले कुछ वर्षो में पटवारी एक बड़े चेहरे के रूप में उभरे हैं और उनकी क्षमता को लोगों ने स्वीकार भी किया है.
खुद को बताया MP कांग्रेस का कार्यकारी अध्यक्ष
इसका जीता जागता उदाहरण मध्यप्रदेश के बजट सत्र से जीतू पटवारी के निलंबन के बाद विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम को लिखे एक पत्र से देखा जा सकता है. इसमें उन्होंने खुद को मध्यप्रदेश के कार्यकारी अध्यक्ष के रूप में दावा किया है. इसके बजाय हाल ही में उनके रीवा दौरे को देखा जा सकता है. इस दौरान पटवारी के समर्थक करीब 100 वाहनों से वहां पहुंचे थे.
न्यूज एजेंसी आईएएनएस को कुछ सूत्रों ने बताया कि इससे पहले पटवारी के समर्थक चाहते थे कि उन्हें प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बनाया जाए. इसके लिए उनके समर्थकों ने केंद्रीय नेतृत्व पर दबाव भी बनाया था.
'जीतू पटवारी की शक्ति को किया गया कमजोर'
एमपी की राजनीति को करीब चार दशक से कवर करने वाले एक पत्रकार ने आईएएनएस से कहा, 'जीतू पटवारी के बढ़ते राजनीतिक ग्राफ को कांग्रेस के कुछ नेताओं के लिए एक चुनौती के रूप में देखा जाता है. यही कारण है कि उन्हें किनारे कर दिया गया था. साथ ही उनकी शक्ति भी बार-बार कम की गई थी. इसके अलावा जब उन्हें सदन से निलंबित कर दिया गया तो कांग्रेस नेतृत्व ने उनका साथ नहीं दिया. अगर किसी और को इस तरह के निलंबन का सामना करना पड़ता, तो पूरी कांग्रेस विधानसभा अध्यक्ष के इस फैसले का विरोध कर सकती थी.'
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