बेटी से बेइंतेहा मोहब्बत करता था औरंगजेब, बस उसने कर दी प्यार की भूल, जेल में फिंकवाया, मरने के लिए छोड़ दिया
मुगल बादशाह औरंगजेब की क्रूरता के कई किस्से मशहूर हैं. इनमें से एक उसकी बेटी के साथ भी जुड़ा हुआ है. यह किस्सा है औरंगजेब की पहली पत्नी दिलरास बानू बेगम से पैदा हुई बेटी जेबुन्निसा का. जेबुन्निसा औरंगजेब की पहली संतान थी जिसे वो जान से ज्यादा प्यार करता था.
नई दिल्ली. मुगल बादशाह औरंगजेब की क्रूरता के कई किस्से मशहूर हैं. इनमें से एक उसकी बेटी के साथ भी जुड़ा हुआ है. यह किस्सा है औरंगजेब की पहली पत्नी दिलरास बानू बेगम से पैदा हुई बेटी जेबुन्निसा का. जेबुन्निसा औरंगजेब की पहली संतान थी जिसे वो जान से ज्यादा प्यार करता था. लेकिन जेबुन्निसा ने प्यार की भूल क्या कर दी औरंगजेब ने उसे जिंदगीभर के लिए अपनी निगाहों से दूर कर दिया. जेबुन्निसा पूरी जिंदगी कुंवारी रही और उसका अंत भी जेल में हुआ.
जेबुन्निसा का जन्म दौलताबाद में हुआ था जो वर्तमान में महाराष्ट्र राज्य में स्थित है. जेबुन्निसा की मां दिलरास बानू बेगम ईरान के ताकतवर सफविद राजवंश की बेटी थीं. जिस वक्त जेबुन्निसा का जन्म हुआ उस वक्त औरंगजेब राजकुमार था, वह बाद में बादशाह बना. औरंगजेब को अपनी बेटी से बेहंतेहा प्रेम था और कहते हैं कि उसकी सभी संतानों में जेबु्न्निसा फेवरेट थी. जेबु्न्निसा की वजह से औरंगजेब ने कई ऐसे लोगों को भी माफी दे दी थी जिन्होंने उसके (औरंगेजब के) खिलाफ जाने की कोशिश की थी. इससे जेबुन्निसा के औरंगजेब शासन में प्रभाव को समझा जा सकता है.
जेबुन्निसा पढ़ने में बहुत होशियार थी और उसने महज तीन साल की उम्र में पूरी कुरान याद कर ली थी. सात वर्ष की उम्र तक वह हाफिजा हो गई थी. इस्लाम धर्म में हाफिज उन्हें कहते हैं जिन्हें पूरी कुरान याद हो गई हो. महिलाओं के लिए हाफिजा शब्द का इस्तेमाल किया जाता है. जेबुन्निसा के हाफिजा बनने पर औरंगेजब ने बड़ा कार्यक्रम आयोजित किया था. उस दिन सार्वजनिक अवकाश घोषित किया गया था.
30 हजार सोने के सिक्के किए थे गिफ्ट
औरंगजेब इतना खुश था कि उसने इनाम के रूप में जेबुन्निसा को 30 हजार सोने के सिक्के दिए थे. इसके अलावा जेबुन्निसा को सिखाने वाली उस्ताद को 30 हजार सोने के सिक्के दिए गए थे. इसके बाद जेबुन्निसा ने फारस के विद्वान सईद अशरफ माज़नदरानी से दर्शन, गणित और साहित्य की पढ़ाई भी की थी.
पढ़ाई के अलावा जेबुन्निसा की दिलचस्पी संगीत में थी. कहते हैं कि वह अपने वक्त की बेहतरीन गायिकाओं में से एक थी. यही नहीं उसकी छवि एक दरियादिल इंसान की थी जो दूसरों की मदद में यकीन रखती थी. विधवा महिलाओं और अनाथ बच्चों की जेबुन्निसा विशेष रूप से मदद किया करती थी.
औरंगजेब के दरबार में जेबुन्निसा का रसूख
औरगंजेब जब बादशाह की गद्दी पर बैठा तब जेबुन्निसा 21 साल की थीं. जेबुन्निसा की काबिलियत से औरंगजेब वाकिफ था और उसने अपनी बेटी से साम्राज्य के राजनीतिक मसलों पर सलाह लेनी शुरू की. वह अक्सर अहम मुद्दों पर जेबुन्निसा से विचार विमर्थ किया करता था. ऐसे कुछ प्रसंग मिलते हैं कि जेबुन्निसा जब भी राजदरबार में आती थी तो अन्य सभी राजकुमारियों को उसके स्वागत में भेजा जाता था.
लेकिन जब जेबुन्निसा की जिंदगी इतनी बेहतर चल रही थी तो फिर औरंगजेब के साथ उसके रिश्तों में दरार कैसे पैदा हुई. क्यों बादशाह ने क्रूर फैसला लिया और बेटी को हमेशा के लिए खुद से दूर कर दिया.
लाहौर के गवर्नर से प्यार का गुनाह!
इसके पीछे कई कारण बताए जाते हैं. लेकिन एक कारण को सबसे अहम माना जाता है. दरअसल 1662 के आसपास औरंगजेब की तबीयत काफी खराब हुई तो उसके चिकित्सकों ने सलाह दी कि वो अपने वातावरण में बदलाव करें और कहीं कुछ समय के लिए दूसरी जगह शिफ्ट हो जाएं. इसी वक्त औरंगजेब अपने परिवार के साथ लाहौर गया था. यहां पर जेबुन्निसा का अफेयर लाहौर के गवर्नर अकील खान रिजवी के साथ हो गया था.
आगबबूला हो गया था औरंगजेब
इस घटना ने औरंगजेब को इतना नाराज कर दिया कि उसने जेबुन्निसा पर भरोसा करना छोड़ दिया. उसकी आगे की पूरी जिंदगी जेल में बीती. पेंशन तक रद्द कर दी गई थी और उसे मिलने वाली सारी सुविधाएं बंद कर दी गई थीं. बेटी के साथ औरंगजेब के रिश्ते इस कदर बिगड़े कि वह दोबारा कभी उससे मिलने तक नहीं गया. कई स्रोतों से मिली जानकारी के मुताबिक जेबुन्निसा की मौत 1701 में जेल में ही हुई थी.
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