इकलौती मुगल महारानी जिसने अपना लिया था हिंदू धर्म, पति ने गैर-मुस्लिमों पर लगाया था जजिया कर
मुगलवंश के दसवें शासक फारुखश्यार की शादी मारवाड़ राजा अजित सिंह की बेटी इंदिरा कंवर से हुई थी. फारुख से शादी के बाद इंदिरा ने इस्लाम धर्म स्वीकार कर लिया था. लेकिन वो इकलौती राजपूत महारानी थी जो पति यानी फारुख की मौत के बाद फिर से हिंदू बन गई थीं.
नई दिल्ली. मध्यकालीन भारत में मुगल शासन के दौरान कई हिंदू राजकुमारियों की शादी मुगल शासकों से हुई थी. इसकी शुरुआत अकबर के साथ 1562 में हुई थी. बाद में यह सिलसिला लगातार चलता रहा. इसे 'राजपूत-मुगल मैरिज अलायंस' के नाम से भी जाना जाता है. इस क्रम में आखिरी शादी मुगलवंश के दसवें शासक फारुखश्यार ने की थी. फारुख की शादी मारवाड़ राजा अजित सिंह की बेटी इंदिरा कंवर से हुई थी. फारुख से शादी के बाद इंदिरा ने इस्लाम धर्म स्वीकार कर लिया था. लेकिन वो इकलौती राजपूत महारानी थी जो पति यानी फारुख की मौत के बाद फिर से हिंदू बन गई थीं.
बेहद नाटकीय है दोनों की शादी की घटना
इंदिरा कंवर की शादी फारुख से होने की कहानी भी बेहद नाटकीय है. उनका विवाह सामान्य परिस्थितियों में नहीं हुआ था. इंदिरा कंवर के पिता राजा अजित सिंह की मुगल वंश से अदावत जिंदगी भर बनी रही. लेकिन एक वक्त ऐसा भी जब मुगल आर्मी के सामने झुक कर अजित सिंह को अपने बेटे अभय सिंह को बातचीत के लिए मुगल दरबार में भेजना पड़ा था. कहते हैं यही वो वक्त था जब अजित सिंह ने अपनी बेटी इंदिरा कंवर की शादी फारुखश्यार से करने का भी फैसला किया था.
शादी के वक्त अपनाया था इस्लाम धर्म
फारुखश्यार से शादी के वक्त इंदिरा कंवर का धर्म परिवर्तन कराया गया था. शरीयत के नियमों के मुताबिक मुगल राजा और इंदिरा कंवर की शादी हुई. इस शादी में मेहर के तौर पर 1 लाख सोने के सिक्के का वर्णन किया गया है.
शादी से भी कम नहीं हुई अदावत
हालांकि इस शादी के बावजूद अजित सिंह और फारुखश्यार के बीच की अदावत कम नहीं हुई. इंदिरा कंवर की शादी के कुछ वर्षों बाद अजित सिंह ने फारुखश्यार को लाल किले के भीतर ही बंदी बना दिया था. दोनों की सेनाओं के बीच रात भर भयानक युद्ध हुआ जिसमें अजित सिंह की जीत हुई थी.
हरम में छुप गया था मुगल महाराजा
अजित सिंह ने अपने सैनिकों को आदेश दिया कि फारुखश्यार को गिरफ्तार कर लिया जाए. कहते हैं कि जब फारुखश्यार को गिरफ्तार करने राजपूत सैनिक पहुंचे तो वह अपने हरम में मां, पत्नियों और बेटियों के साथ छुपा हुआ था. सैनिकों ने उसे पकड़ा और त्रिपोलिया गेट के एक छोटे कमरे में बंद कर दिया गया. इसी जगह पर फारुखश्यार को टॉर्चर किया गया और सुई से उसे अंधा कर मौत के घाट के उतार दिया गया था.
इसी के बाद इंदिरा कंवर के घर वापस लौटने की कवायद भी शुरू हुई.बाद में इंदिरा कंवर ने इस्लाम धर्म त्यागकर हिंदू धर्म अपना लिया था. उन्होंने मुगल रानी रहते हुए मिली अपनी सारी संपत्ति जोधपुर की जनता के नाम कर दी थी. यह मुगल काल की इकलौती घटना है जब कोई हिंदू राजकुमारी हरम से वापस लौटी थी. यही नहीं फारुखश्यार और इंदिरा कंवर की शादी राजपूत मुगल मैरिज अलायंस की आखिरी शादी भी साबित हुई.
फारुखश्यार ने हिंदुओं पर लगाया था जजिया कर
फारुखश्यार ही वह मुगल राजा था जिसने औरंगजेब के बाद बंद हो चुकी जजिया व्यवस्था को दोबारा हिंदू समुदाय पर लागू कर दिया था. उसने एक खत के जरिए कहा था कि यह मक्का के धर्मगुरु का आदेश है और मैं धर्म के काम में नहीं दखल नहीं दे सकता. इसलिए सभी को जजिया कर देना होगा.
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