नई दिल्लीः देश का सबसे प्रतिष्ठित और विश्व का सबसे धनी परिवार. इसके दो चिराग मुकेश अंबानी और अनिल अंबानी. सालों तक दोनों चिरागों की लौ भले ही हवा के रुख में अलग-अलग दिशा में जली हो, लेकिन बुधवार दोनों फिर दीपक की एक ज्योति बन गए. एक बार फिर मुकेश अंबानी ने बड़प्पन दिखाया और छोटे भाई को बचा लिया.


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इस पूरे प्रकरण में मां कोकिला बेन ने मुख्य भूमिका निभाई. इस तरह सुबह का भूला शाम को घर लौट आया है, जिसे भूला नहीं कहा जाएगा. मुकेश अंबानी की कंपनी छोटे भाई अनिल की कंपनी को खरीदेगी. 



यह है पूरा मामला, जानिए
अनिल अंबानी की कंपनी रिलायंस कम्युनिकेशन्स (RCom) के दिवाला प्रक्रिया को एसबीआई बोर्ड ने मंजूरी दे दी है. इस तरह एकबार फिर उन्हें भाई का साथ मिला. बड़े भाई मुकेश अंबानी की कंपनी रिलायंस जियो आरकॉम के टॉवर और फाइबर बिजनस को खरीदेगी. इसके बदले कंपनी 4700 करोड़ देने को तैयार है. आरकॉम पर 82000 करोड़ का भारी कर्ज है.


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मां कोकिला बेन ने ऐसे संभाला मामला
अनिल अंबानी और मुकेश अंबानी की राहें एक साथ अलग हुई थीं. अनिल अंबानी की कई व्यापारिक गलतियां उन पर इस तरह भारी पड़ीं कि वह लगातार आर्थिक मामले में कमजोर होते गए. इधर मुकेश अंबानी की संपत्ति साल दर साल बढ़ती जा रही थी. दोनों भाइयों का रास्ता 2008 में अलग-अलग हो गया था,



लेकिन मां कोकिलाबेन अंबानी ने बंटवारे के बाद भी दोनों को संभाले रखा. यही वजह है कि जब एरिक्सन मामले में अनिल अंबानी के जेल जाने की नौबत आ गई थी तब मुकेश अंबानी ने बड़े भाई के नाते 500 करोड़ जमा कर उन्हें जेल जाने से बचाया.



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सालों तक बिगड़े रहे थे रिश्ते
अलग होने के बाद सालों तक दोनों भाइयों के रिश्ते बिगड़े रहे थे. रिश्तों में कड़वाहट का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि 2008 में अनिल अंबानी ने मुकेश अंबानी के खिलाफ 10 हजार करोड़ का मानहानि का मुकदमा दायर कर दिया था. अनिल अंबानी को मुकेश के दिए गए एक इंटरव्यू से शिकायत थी.


2005 में मां कोकिलाबेन ने दोनों भाइयों का बंटवारा कर दिया था. मुकेश अंबानी को ऑयल और केमिकल बिजनस दिया गया, जबकि छोटे बेटे अनिल अंबानी को प्रॉफिट मेकिंग टेलिकॉम और इलेक्ट्रिसिटी बिजनस दिया गया था.