Mukhtar Ansari death news: पूर्व पुलिस उपाधीक्षक शैलेन्द्र सिंह ने जनवरी 2004 में गैंगस्टर से नेता बने मुख्तार अंसारी के खिलाफ आतंकवाद निरोधक अधिनियम (POTA) लगाया था. अब अंसारी के गुजर जाने  के बाद शुक्रवार को याद किया कि कैसे तत्कालीन मुलायम सिंह यादव सरकार ने उन्हें 15 दिनों के भीतर इस्तीफा देने के लिए मजबूर किया था.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

पांच बार विधायक रहे मुख्तार अंसारी की मौत के एक दिन बाद शैलेन्द्र सिंह ने समाचार एजेंसी ANI को बताया कि उन्होंने ही सबसे पहले गैंगस्टर से नेता बने मुख्तार अंसारी के कब्जे से एक लाइट मशीन गन बरामद की थी.


आईजी-रेंज, डीआईजी का हो गया तबादला
शैलेन्द्र सिंह ने दावा किया, '20 साल पहले 2004 में मुख्तार अंसारी का साम्राज्य चरम पर था. वह (मुख्तार अंसारी) उन इलाकों में खुली जीपों में घूमते थे जहां कर्फ्यू लगा हुआ था. उस समय, मुझे एक LMG बरामद हुई. उसके पहले या बाद में कोई जब्ती नहीं की गई. मैंने उन पर पोटा भी लगाया...लेकिन मुलायम सरकार उन्हें किसी भी कीमत पर बचाना चाहती थी. उन्होंने अधिकारियों पर दबाव डाला, आईजी-रेंज, डीआईजी और एसपी-एसटीएफ का तबादला कर दिया गया.'


उन्होंने आगे कहा, 'यहां तक कि मुझसे 15 दिन के अंदर इस्तीफा भी दिलवा दिया गया. लेकिन मैंने अपने इस्तीफे में अपना कारण लिखा और जनता के सामने रखा कि यह वही सरकार है जिसे आपने चुना है, जो माफियाओं को संरक्षण दे रही है और उनके आदेश पर काम कर रही है... मैं किसी पर एहसान नहीं कर रहा था. यह मेरा कर्तव्य था.'


योगी सरकार ने वापस लिया मामला
फरवरी 2004 में, शैलेन्द्र सिंह को राजनीतिक दबाव में सेवा से इस्तीफा देना पड़ा और कुछ महीने बाद उनके खिलाफ बर्बरता का मामला दर्ज किया गया. मई 2021 में यूपी सरकार ने वाराणसी में पूर्व डीएसपी के खिलाफ बर्बरता का मामला वापस ले लिया.


पूर्व डीएसपी ने कहा कि मुख्तार अंसारी के खिलाफ उनके द्वारा की गई कार्रवाई के कारण तत्कालीन सरकार और उनके विभाग के आकाओं ने उन्हें परेशान किया और अंततः उन्हें इस्तीफा देना पड़ा और बर्बरता के आरोपों का भी सामना करना पड़ा.


Zee Hindustan News App: देश-दुनिया, बॉलीवुड, बिज़नेस, ज्योतिष, धर्म-कर्म, खेल और गैजेट्स की दुनिया की सभी खबरें अपने मोबाइल पर पढ़ने के लिए डाउनलोड करें ज़ी हिंदुस्तान न्यूज़ ऐप.