Mulayam singh Yadav family Tree: देश में जब इमरजेंसी का दौर आया था, तो उस वक्त कुछ ही लोग थे, जिन्होंने इसके खिलाफ अपनी आवाज उठाई थी. जेपी नारायण के साथ सरकार के खिलाफ खड़े होने का साहस दिखाने वाले युवाओं में एक नाम मुलायम सिंह यादव का भी रहा, जिन्होंने आपातकाल के बाद 1976 में पहली बार बतौर विधायक अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत की और देश का सबसे बड़ा राजनीतिक कुनबा तैयार करने तक का सफर तय किया. 


जानें कैसा रहा था मुलायम का राजनीतिक सफर


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इस दौरान मुलायम सिंह यादव खुद 6 बार लोकसभा सदस्य (1996, 1998, 2004, 2009, 2014 और 2019), 3 बार यूपी के मुख्यमंत्री (1989 से 1991, 1993 से 1995 और 2003 से 2007), 3 बार राज्यसभा के सदस्य (1985, 1974 और 1967) और एक बार देश के रक्षा मंत्री (1996-98) के रूप में कार्यभार संभाला. 


हालांकि देश के सबसे बड़े राजनीतिक परिवार के मुखिया मुलायम सिंह यादव का सोमवार (10 अक्टूबर, 2022) को निधन हो गया और 82 साल की उम्र में उन्होंने आखिरी सांस ली. उनके निधन पर पीएम मोदी, गृह मंत्री अमित शाह से लेकर देश के तमाम बड़े नेताओं ने शोक व्यक्त किया है. मुलायम सिंह यादव ने जब एक छात्र नेता के तौर पर अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत की थी, तो शायद ही किसी को इस बात का अंदाजा होगा कि आने वाले समय में देश के सबसे बड़े राजनीतिक परिवार का सम्मान इन्हीं को मिलने वाला है.


इस आर्टिकल में हम मुलायम सिंह के परिवार के हर उस सदस्य की बात करने जा रहे हैं जिसने सियासत के किसी भी गलियारे में अपनी किस्मत आजमाई हो और समझने की कोशिश करते हैं कि उनके परिवार के कितने लोग राजनीति से ताल्लुक रखते हैं.


कैसा है मुलायम का राजनीतिक परिवार


मुलायम सिंह यादव के परिवार की बात करें, तो वो अकेले आदमी नहीं थे जिनका सगा परिवार राजनीति में कदम जमा रहा था बल्कि उनके चचेरे भाई भी उन्हीं की राह ले रहे थे. मुलायम सिंह के पिता सुघर सिंह दो भाई थे, जिनमें दूसरा नाम बच्चीलाल सिंह का था. जहां मुलायम सिंह यादव तीसरे नंबर के बेटे थे, तो वहीं पर शिवपाल सिंह यादव पांचवे नंबर के बेटे हैं.


वहीं बच्चीलाल सिंह के परिवार से जो जाना पहचाना नाम सक्रिय है, वो है रामगोपाल यादव का जिन्हें मुलायम सिंह के बेटे अखिलेश यादव के ज्यादा करीबी माना जा रहा है. रामगोपाल यादव के बेट अक्षय फिरोजाबाद के सांसद रह चुके हैं. वह 2014 में उस वक्त लोकसभा चुनाव जीते थे जब देश में मोदी नाम की लहर थी, लेकिन 2019 में शिवपाल यादव के चल रही पारिवारिक कलह के चलते चुनाव हार गये थे.


राजनीतिक परिवार में मुलायम के कितने सगे भाई 


मुलायम सिंह यादव 5 भाई थे जिसमें से सबसे पहले नंबर पर अभयराम सिंह, दूसरे नंबर पर रतन सिंह, तीसरे नंबर पर मुलायम सिंह, चौथे पर राजपाल सिंह और पांचवे नंबर पर शिवपाल सिंह यादव आते हैं. अभयराम सिंह ने खुद भले कभी राजनीतिक मैदान पर कदम नहीं रखा हो, लेकिन उनके बेटे धर्मेंद्र सिंह यादव तीन बार लोकसभा का चुनाव जीत चुके हैं. वह एक बार मैनपुरी और दो बार बदायूं के सांसद रह चुके हैं, हालांकि साल 2019 में उन्हें बदायूं सीट गंवानी पड़ी थी और बाद में आजमगढ़ लोकसभा उपचुनाव में भी हार का सामना करना पड़ा.


भाइयों के परिवार का क्या है हाल


दूसरे नंबर के बेटे रतन सिंह यादव के परिवार की बात करें तो उनके पोते तेज प्रताप यादव मैनपुरी से सांसद रह चुके हैं, जिनकी शादी लालू प्रसाद यादव की बेटी से हुई है. मुलायम सिंह के छोटे भाई राजपाल सिंह के परिवार से उनके बेटे अंशुल सिंह अपनी पत्नी के साथ पूरी तरह से सियासत में सक्रिय है. वह दो बार जिला पंचायत के अध्यक्ष चुने जा चुके हैं.


मुलायम सिंह यादव के सबसे छोटे भाई शिवपाल सिंह यादव को राजनीतिक पार्टी का लक्ष्मण कहा जाता है. शिवपाल यादव ने मुलायम सिंह का साथ उनके छात्र नेता के दिनों से दिया. जब वो विधायक बने तो जमीनी स्तर पर सारा काम किया, सीएम बने तो पार्टी को मजबूत करने की जिम्मेदारी शिवपाल ने संभाली.


हालांकि जब अखिलेश यादव के चलते विवाद पैदा हुआ, तो उन्होंने समाजवादी पार्टी को अलविदा कह कर खुद अलग पार्टी बना ली. शिवपाल सिंह यादव ने प्रसपा के चुनाव चिन्ह पर फिरोजाबाद की लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा, लेकिन उन्हें करारी हार का सामना करना पड़ा. शिवपाल सिंह ने इसी साल (2022) समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन कर दोबारा साइकिल से चुनाव लड़ा और जीत हासिल की. शिवपाल के बेटे आदित्य भी राजनीति में एक्टिव हैं.


रीढ़ की हड्डी थे मुलायम सिंह


मुलायम सिंह यादव को इस राजनीतिक कुनबे में रीढ़ की हड्डी कहा जाये तो गलत नहीं होगा, क्योंकि समाजवादी पार्टी के निर्माण से लेकर अब तक के सफर में सिर्फ मुलायम ही नजर आते हैं. उन्होंने दो शादियां की थी जिसमें से पहली शादी मालती देवी से हुई थी, तो वहीं पर दूसरी पत्नी का नाम साधना गुप्ता था. अखिलेश यादव पहली पत्नी मालती की संतान हैं और उन्होंने ही अब राजनीतिक कार्यभार संभाला है.


वहीं दूसरी पत्नी के बेटे प्रतीक यादव का राजनीति से कोई मतलब नहीं है, हालांकि उनकी पत्नी अपर्णा यादव जरूर सक्रिय हैं. अपर्णा पहले समाजवादी पार्टी में थी लेकिन साल 2022 में उन्होंने भारतीय जनता पार्टी का दामन थाम लिया. वहीं अखिलेश यादव की बात करें तो उनकी पत्नी डिंपल यादव भी सांसद रह चुकी हैं. 


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