NSA Ajit Doval diplomacy:  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कतर के अमीर (Emir of Qatar) के साथ व्यक्तिगत संबंध और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल की पर्दे के पीछे की कूटनीति ने यह सुनिश्चित किया कि भारतीय नौसेना के आठ पूर्व कर्मियों को हिरासत से रिहा कर दिया गया.


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चुपचाप गए दोहा
जहां कूटनीतिक मोर्चा विदेश मंत्री एस जयशंकर ने संभाला, वहीं पूर्व नौसेना कर्मियों की रिहाई के लिए व्यक्तिगत व गंभीर बातचीत पीएम मोदी की सलाह पर NSA डोभाल ने की. NSA डोभाल ने रिहाई के लिए दोहा की कई चुपचाप बिना चर्चा में आए यात्राएं कीं. मकसद कतरी नेतृत्व को भारतीय दृष्टिकोण को सही से समझाना था.


कतर की एक अदालत ने अक्टूबर में भारत सरकार को तब स्तब्ध कर दिया जब एक मामले में पूर्व नौसैनिकों को मौत की सजा सुना दी. कतर सरकार ने पूर्व नौसेना अधिकारियों पर लगे आरोपों का खुलासा नहीं किया, लेकिन रिपोर्टों में दावा किया गया कि उन पर जासूसी का आरोप लगाया गया था. हालांकि, दिसंबर में, अदालत ने उनकी सजा कम कर दी, लेकिन उस समय भी कोई अधिन जानकारी नहीं उपलब्ध कराई गई.


पीएम मोदी ने दुबई में COP28 शिखर सम्मेलन के मौके पर कतर के अमीर शेख तमीम बिन हमद अल-थानी से मुलाकात की और द्विपक्षीय साझेदारी और कतर में रहने वाले भारतीय समुदाय की भलाई पर चर्चा की.


कौन हैं अजित डोभाल?
अजीत कुमार डोभाल भारत के प्रधानमंत्री के पांचवें और वर्तमान राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) हैं. वह केरल कैडर के एक सेवानिवृत्त भारतीय पुलिस सेवा (IPS) अधिकारी और पूर्व भारतीय खुफिया और कानून प्रवर्तन अधिकारी हैं. 1945 में उत्तराखंड में जन्मे, वह कीर्ति चक्र, सैन्य कर्मियों के लिए वीरता पुरस्कार, से सम्मानित होने वाले भारत के सबसे कम उम्र के पुलिस अधिकारी हैं.


भारत की सितंबर 2016 की सर्जिकल स्ट्राइक और फरवरी 2019 में पाकिस्तान में सीमा पार बालाकोट हवाई हमले डोभाल की देखरेख में किए गए थे. उन्होंने डोकलाम गतिरोध को समाप्त करने में भी मदद की और पूर्वोत्तर में उग्रवाद से निपटने के लिए निर्णायक कदम उठाए.


डोभाल ने 1968 में एक आईपीएस अधिकारी के रूप में अपना पुलिस करियर शुरू किया और मिजोरम और पंजाब में उग्रवाद विरोधी अभियानों में सक्रिय रूप से नोट करते रहे. उन्होंने 1999 में कंधार में अपहृत IC-814 से यात्रियों की रिहाई में तीन वार्ताकारों में से एक के रूप में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. उन्होंने 1971 और 1999 के बीच इंडियन एयरलाइंस के विमानों के कम से कम 15 अपहरणों को सफलतापूर्वक हैंडिल किया.


पाकिस्तान में रहे
कहा जाता है कि डोभाल ने पाकिस्तान में सक्रिय आतंकवादी समूहों के बारे में खुफिया जानकारी इकट्ठा करने में एक अंडरकवर ऑपरेटिव के रूप में सात साल बिताए हैं. गुप्त एजेंट के रूप में एक साल के कार्यकाल के बाद, उन्होंने इस्लामाबाद में भारतीय उच्चायोग में छह साल तक काम किया.


अजीत डोभाल ने अपने करियर का बड़ा हिस्सा इंटेलिजेंस ब्यूरो (IB) में एक सक्रिय फील्ड इंटेलिजेंस अधिकारी के रूप में बिताया.


2014 में, अजीत डोभाल ने इराक के तिकरित के एक अस्पताल में फंसी 46 भारतीय नर्सों की रिहाई सुनिश्चित की. वह एक गुप्त मिशन पर गए और जमीनी स्थिति को समझने के लिए 25 जून 2014 को इराक के लिए उड़ान भरी और इराक सरकार में उच्च-स्तरीय संबंध बनाए.


5 जुलाई 2014 को नर्सों को भारत वापस लाया गया. बाद में, डोभाल ने म्यांमार से बाहर सक्रिय नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नागालैंड के उग्रवादियों के खिलाफ सेना प्रमुख जनरल दलबीर सिंह सुहाग के साथ म्यांमार में एक सफल सैन्य अभियान का भी नेतृत्व किया.


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