नई दिल्ली: राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग (NHRC) ने राजस्थान के आधा दर्जन जिलों में लड़कियों को स्टाम्प पेपर पर बेचे जाने मामले पर स्वत: संज्ञान लिया है. इस मामले में एनएचआरसी ने राजस्थान के मुख्य सचिव को एक नोटिस जारी किया है. नोटिस में कहा गया है कि इस मामले में विस्तृत रिपोर्ट के साथ-साथ की गई कार्रवाई की रिपोर्ट और पहले से किए गए उपायों और यदि नहीं, तो ऐसी भयानक घटनाओं को रोकने के लिए किए जाने वाले प्रस्तावित उपाय बताए जाएं. इसके लिए 4 हफ्ते का समय दिया गया है. 


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क्या हैं आरोप
आयोग के मुताबिक, राजस्थान के आधा दर्जन जिलों में लड़कियों को स्टाम्प पेपर पर बेचा जाता है. साथ ही विवादों के निपटारे के लिए जाति पंचायतों के फरमान पर उनकी माताओं के साथ बलात्कार किया जाता है. जब भी दोनों पक्षों के बीच विशेष रूप से वित्तीय लेनदेन और ऋण आदि को लेकर कोई विवाद होता है, तो पैसे की वसूली के लिए 8-18 वर्ष की आयु की लड़कियों की नीलामी की जाती है.


पूरा परिवार बन गया गुलाम
रिपोर्ट के अनुसार, 15 लाख का कर्ज चुकाने के लिए एक जाति पंचायत ने एक आदमी को पहले अपनी बहन को बेचने के लिए मजबूर किया. फिर भी जब कर्ज नहीं चुकाया तो उसे अपनी 12 साल की बेटी को बेचने के लिए मजबूर किया गया. रिपोर्ट्स के मुताबिक खरीदार ने लड़की को 8 लाख रुपये में खरीदा. इसके बाद, सभी गुलाम बन गईं लेकिन फिर भी उनके पिता उसका कर्ज नहीं चुका सके.


यूपी समेत कई राज्यों में भेजी जा रही बेटियां
इन लड़कियों को यूपी, एमपी, मुंबई, दिल्ली और यहां तक कि विदेशों में भेजा जा रहा है और गुलामी में शारीरिक शोषण, प्रताड़ना और यौन उत्पीड़न का शिकार बनाया जा रहा है. मीडिया रिपोर्ट्स ने ऐसे जघन्य अपराधों के शिकार कई लोगों की इन विकट परिस्थितियों का दस्तावेजीकरण किया है.


पुलिस महानिदेशक को भी नोटिस
इसके अलावा राजस्थान के पुलिस महानिदेशक को भी नोटिस जारी किया गया है. इस नोटिस में ऐसी घटनाओं में FIR दर्ज करने, आरोप पत्र, गिरफ्तारी, यदि कोई हो, सहित मामलों की स्थिति और राज्य में देह व्यापार के इस तरह के व्यवस्थित अपराधों में शामिल लोगों को पकड़ने के लिए शुरू की गई व्यवस्था भी शामिल होनी चाहिए. एनएचआरसी ने अपने विशेष प्रतिवेदक, उमेश कुमार शर्मा को राजस्थान में प्रभावित क्षेत्रों का दौरा करने और क्षेत्र से आई घटनाओं पर एक व्यापक रिपोर्ट तीन महीने में प्रस्तुत करने के लिए कहा है.


रिपोर्ट में यह भी शामिल होगा कि राज्य सरकार कैसे संवैधानिक प्रावधानों या पंचायती राज कानून के अनुसार ग्राम पंचायत के कार्यों को सुनिश्चित कर रही है? ताकि राज्य में लड़कियों और महिलाओं के मानव अधिकारों और गरिमा के अधिकार को प्रभावित करने वाली जाति आधारित व्यवस्था को समाप्त किया जा सके.

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