नई दिल्लीः संसद की एक समिति ने युद्ध में हताहत सैनिकों के परिवार के सदस्यों को उचित और सम्मानजनक अनुग्रह राशि प्रदान करने की जरूरत को रेखांकित करते हुए सरकार से प्रत्येक श्रेणी की अनुग्रह राशि में 10 लाख रुपये तक बढ़ोतरी करने पर गंभीरता से विचार करने को कहा है. 


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लोकसभा में पेश की गई रिपोर्ट
लोकसभा में गुरुवार को पेश ‘सशस्त्र बलों में युद्ध में शहीद हुए सैनिकों की विधवाओं/उनके परिवारों के लिए कल्याणकारी उपायों का आकलन’ पर रक्षा संबंधी स्थायी समिति की रिपोर्ट में यह बात कही गई है. भारतीय जनता पार्टी के सांसद जुएल ओरांव की अध्यक्षता वाली समिति ने कहा कि शहीद सैनिक के परिवार के पात्र सदस्य को उक्त सैनिक की मृत्यु होने पर एकमुश्त अनुग्रह राशि का भुगतान किया जाता है. 


अलग-अलग है अनुग्रह राशि
रिपोर्ट के अनुसार समिति को रक्षा मंत्रालय के एक प्रतिनिधि की तरफ से जानकारी दी गई कि यह राशि सैनिक की मृत्यु की विभिन्न श्रेणियों के लिये अलग-अलग है. इसमें कहा गया है कि कर्तव्य का पालन करते हुए दुर्घटनाओं या आतंकवादी, असामाजिक तत्वों द्वारा हिंसा के कृत्यों के कारण होने वाली मृत्यु के मामले में 25 लाख रुपये तक मुआवजा दिया जाता है . 


युद्ध में शहीद होने पर 45 लाख रुपये मिलता है मुआवजा
समिति ने कहा कि इसके अलावा सीमा पर झड़पों और आतंकवादियों, उग्रवादियों, चरमपंथियों व जल दस्युओं आदि के खिलाफ कार्रवाई में होने वाली मौत के मामले में 25 लाख रुपये का मुआवजा दिया जाता है. युद्ध में दुश्मन के विरुद्ध कार्रवाई के दौरान होने वाली मृत्यु के मामले में 45 लाख रुपये मुआवजे के रूप में दिये जाते हैं. 


सैनिक के परिवार को मिलती है मदद
रिपोर्ट के अनुसार, ‘समिति का मत है कि वैसे तो सैनिक की जिंदगी का मूल्यांकन मौद्रिक संदर्भ में नहीं किया जा सकता है, फिर भी वित्तीय अनुदान सैनिक के परिवार के सदस्य को उचित और सम्मानजनक जीवन प्रदान करने में सहायक होता है.’ इसमें कहा गया है कि यह (अनुग्रह राशि) युवाओं को सशस्त्र सेनाओं में भर्ती के लिये प्रोत्साहन और प्रेरणा के रूप में कार्य करता है. 


समिति ने कहा कि इस अवधारणा और मुद्रास्फीति की बढ़ी हुई दर पर विचार करते हुए सरकार को उपरोक्त श्रेणी की अनुग्रह राशि में 10 लाख रुपये तक की बढ़ोतरी करने पर गंभीरता से विचार करना चाहिए. 


न्यूनतम राशि 35 लाख रुपये करने का सुझाव
समिति ने सुझाया, ‘किसी भी श्रेणी में न्यूनतम राशि 35 लाख रुपये और अधिकतम राशि 55 लाख रुपये होगी . रिपोर्ट के अनुसार, समिति को बताया गया है कि पेंशनभोगियों की कुल संख्या का जायजा लेने के लिये मुख्य रक्षा लेखा नियंत्रक (पीसीडीए) प्रयागराज की ओर से अप्रैल में एक वार्षिक जनगणना करायी जाती है. यह पेंशन वितरण एजेंसियों से डाटा एकत्र करके की जाती है. इसमें भुगतानों के कुछ प्रतिशत की पीसीडीए प्रयागराज द्वारा लेखापरीक्षा की जाती है, ताकि लाभ की मात्रा सत्यापित की जा सके. 


'वीर नारी' के आंकड़े रखने का भी दिया सुझाव
यह बताया गया है कि पीसीडीए प्रयागराज पेंशनभोगियों के आंकड़ों का रख-रखाव करता है. समिति को यह भी बताया गया कि वे अलग से ‘वीर नारी’ (शहीदों की विधवाओं) का डाटा नहीं रखते हैं. ऐसे में समिति ने सिफारिश की है कि वे शहीदों के परिजनों एवं ‘वीर नारी’ संबंधी आंकड़े रखें. 


(इनपुटः भाषा)


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