किस मजबूरी में बिहार से बाहर जाते हैं लोग? प्रशांत किशोर ने बताई वजह
चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने बताया है कि आखिर लोगों को किस वजह से बिहार छोड़ना पड़ता है. उन्होंने कहा है कि बिहार के लोगों को पढ़ाई, कमाई और दवाई के लिए मजबूरी में बिहार से बाहर जाना पड़ता है.
नई दिल्ली: चर्चित चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर इन दिनों जन सुराज पदयात्रा के दौरान बिहार का दौरा कर रहे. इस दौरान उन्होंने सोमवार को कहा कि बिहार में सिर्फ जाति पर वोट नहीं देते हैं. उन्होंने कहा कि नरेंद्र मोदी की जाति का कोई भी नहीं, फिर भी उन्हें वोट मिल रहा.
चुनाव में केवल वोट जाति पर नहीं पड़ते हैं- प्रशांत किशोर
उन्होंने कहा कि बिहार के लोगों को पढ़ाई, कमाई और दवाई तीनों के लिए मजबूरी में बिहार से बाहर जाना पड़ता है. सारण जिले के एकमा के पुचाती कला पंचायत में पदयात्रा के 163 वें दिन किशोर ने कहा कि जाति चुनाव में एक तथ्य है और चुनाव में केवल वोट जाति पर नहीं पड़ते हैं. बिहार में 20 प्रतिशत अल्पसंख्यक समुदाय के लोग रहते हैं और वो लोग जाति के नाम पर वोट नहीं देते हैं.
उन्होंने कहा कि जाति यदि एक मात्र पहलू होती तो भाजपा और नरेंद्र मोदी को बिहार में जो वोट मिल रहा है वो वोट नहीं मिल रहा होता, क्योकि नरेंद्र मोदी की जाति के लोग यहां नहीं हैं. लेकिन, मोदी को वोट दूसरे कारणों से मिल रहा है, उनको राष्ट्रवाद के नाम पर, हिंदुत्व के नाम पर, भारत-पाकिस्तान के नाम पर वोट मिल रहा है.
प्रशांत किशोर ने बिहार से पलायन की वजह बताई
पत्रकारों से चर्चा करते हुए उन्होंने पलायन की विकरालता को बताते हुए कहा कि अभी तक 1500 से ज्यादा गांव में घूमने के बाद ये बात सामने आई है कि गांव में 40 से 50 प्रतिशत युवा किसी रोजगार या मजदूरी के लिए घर छोड़कर बाहर गए हैं.
किशोर ने कहा कि बच्चे पहले पढ़ाई के लिए बाहर जाते हैं, फिर कमाई यानि रोजगार के लिए बाहर जाते हैं और थोड़ी उम्र होने के बाद फिर इलाज और दवाई के लिए बाहर जाते हैं. उन्होंने कहा कि परिवार का एक साथ न रहना एक बहुत बड़ी सामाजिक त्रासदी है, जो आज बड़े स्तर पर देखने को मिल रही है.
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