नई दिल्ली: PM Modi And President Putin: देश में लोकसभा चुनाव हो रहे हैं. सभी दल अपने प्रचार-प्रसार में जुटे हैं. विपक्षी नेता इसे लोकतंत्र बचाने की लड़ाई बता रहे हैं. महाराष्ट्र के पूर्व CM और NCP (पवार गुट) के प्रमुख शरद पवार ने PM मोदी की तुलना रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से की है. शरद पवार ने अमरावती की एक रैली में कहा कि मोदी के रूप में हमारे देश में एक नया पुतिन पैदा हो रहा है.


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पहले भी हुई मोदी की पुतिन से तुलना
यह पहली बार नहीं है जब पीएम मोदी की तुलना रूसी राष्ट्रपति पुतिन से की गई है. इससे पहले कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने 29 जनवरी, 2024 को कहा था कि इस साल के लोकसभा चुनावों में भाजपा जीतती है तो भारत में तानाशाही शुरू हो जाएगी. देश में 2024 के बाद चुनाव नहीं होंगे. पीएम मोदी सत्ता में बने रहने के लिए चुनावों ही खत्म कर देंगे. इसके बाद वे वही करेंगे, जो रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने अपने देश में किया.


अलग देशों के नेता, फिर भी ये समानताएं
खास बात ये है कि पुतिन और मोदी, दोनों ही अलग-अलग देश के नेता हैं. दोनों देशों की सभ्यता भी अलग है. शासन व्यवस्था भी अलग है. रूस में सोवियत लोकतंत्र है, जो मार्क्सवाद से प्रभावित है. जबकि भारत एक सोशलिस्ट और डेमोक्रेटिक देश है. फिर भी दोनों देशों के नेताओं की तुलना होती है. आइए, जानते हैं कि PM मोदी और रूसी राष्ट्रपति पुतिन में क्या समानताएं हैं?  


परिवार लाइमलाइट से दूर
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का परिवार बेहद साधारण ढंग से जीवनयापन करता है. उनके परिवार का कोई भी सदस्य PM हाउस में नहीं रहता. कभी-कभार उनकी मां आया करती थीं, लेकिन अब उनका भी निधन हो गया. ठीक इसी तरह पुतिन का परिवार भी लाइमलाइट से दूर रहता है. उनकी दो बेटियां हैं, लेकिन वे मीडिया से दूर रहती हैं. मीडिया के पास पुतिन के परिवार की कोई आधिकारिक फोटो तक नहीं है. 


कट्टरवादी छवि
दोनों ही नेताओं को अपने-अपने देश का एक तबका कट्टरवादी मानता है. विपक्ष पीएम मोदी को कट्टर हिंदूवादी के तौर पर पेश करता है. 2002 के गुजरात दंगों से भी उनका नाम जोड़ा जाता है. दूसरी ओर, पुतिन पर भी 1999 के अपार्टमेंट ब्लास्ट में हाथ होने का आरोप लगता रहा है. हालांकि, ये भी संयोग है कि इन विवादों के बाद ही इनका सियासी कद बढ़ा है. 


सामान्य परिवार से आए
पीएम मोदी के पिता दामोदर दास मोदी चाय की दुकान चलाया करते थे. मोदी ने भी अपने पिता की दुकान पर काम किया. दूसरी ओर, पुतिन के दादा रसोइए थे. पिता रूसी नौसेना में काम करते थे. मां एक फैक्ट्री में वर्कर थीं. दोनों ही नेताओं की पारिवारिक पृष्ठभूमि सामान्य रही है. 


राजनीतिक परिवेश
पीएम मोदी को RSS ने आगे बढ़ाया. वे शुरुआत से ही संघ से जुड़े हुए थे. PM मोदी ने सियासत के दांव-पेंच भी RSS में रहते हुए ही सीखे. जबकि पुतिन की पर्सनलिटी को KGB ने डवलप किया. वे आज भी उसी अनुशासन की पालना करते हैं.


यकायक राजनीति में उभरे
पीएम मोदी अचानक से ही गुजरात के CM बन गए थे. इससे पहले सांसद या विधायक भी नहीं रहे. उन्होंने सरपंच स्तर का चुनाव भी नहीं लड़ा था. इसी तरह 1991 में USSR के विखंडन के बाद बोरिस येल्‍तसिन रूस के प्रेसिडेंट बने और उन्होंने पुतिन को प्रधानमंत्री बनवाया. इससे पहले पुतिन भी किसी राजनीतिक पद पर नहीं रहे थे.


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