नई दिल्ली: सोमवार को शीतकालीन सत्र का पहला दिन था. सदन समयानुसार शुरू हुआ और फिर राज्यसभा में रूकावट के बाद उसे 2 बजे तक स्थगित भी कर दिया गया. लेकिन इसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सदन में अपनी बात रखी. प्रधानमंत्री मोदी राज्यसभा के 250वें सत्र में बोल रहे थे. इस दौरान उन्होंने सदन को बार-बार स्थगित किए जाने को एक समस्या बताते हुए कुछ कहना शुरू किया. दरअसल, पीएम ने राज्यसभा में दो पार्टियों की तारीफ की और बस वहीं से बयान के मायने निकलने शुरू हो गए. प्रधानमंत्री मोदी ने एनसीपी और बीजद की तारीफ की और कहा कि ये दोनों ही पार्टियां संसद के नियम और कानून का बड़ी बखूबी पालन करती हैं. कभी भी अनमाने तरीके से रूकावट पैदा करने की कोशिश नहीं करतीं.


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प्रधानमंत्री ने कहा अनुशासन में रहती हैं दोनों पार्टियां



प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि इन दोनों पार्टियों को मैंने देखा है कि कभी भी किसी अनावश्यक रूकावट का कारण नहीं बनतीं. अपनी बात बड़ी सरल और प्रभावी तरीके से रखती हैं. प्रधानमंत्री के इस बयान को इसके बाद से ही उसके मायने महाराष्ट्र से निकाल कर देखा जाने लगा. दरअसल, एनसीपी शरद पवार के नेतृत्व वाली वहीं पार्टी है जो शिवसेना के साथ सूबे में सरकार बनाने जा रही है. वहीं शिवसेना जो कुछ ही दिन पहले तक भाजपा की 30 साल पुरानी सहयोगी दल रही है. और अब महाराष्ट्र में 50-50 फॉर्मूले पर रजामंदी न बन पाने के बाद एनसीपी और कांग्रेस के साथ सरकार बनाने की कवायद में लग गई है. 


एनसीपी पीछे हटी तो समझो दुर्घटना घटी


भाजपा की विचारधारा से मेल न खाने वाली पार्टियों का मानना है कि पीएम का यह बयान एनसीपी पर अपने प्रभाव को जमाने के लिहाज से किया गया है. महाराष्ट्र में अगर एनसीपी शिवसेना के साथ सरकार बनाने की जद्दोजहद में पीछे हट जाए तो बेचारी शिवसेना कुछ न कर पाएगी. पार्टी का हाल 'न घर का न घाट का' वाला हो जाएगा. चुनाव परिणाम के बाद भी शरद पवार ने बार-बार यह बात दोहाराया था कि सरकार बनाने का जनाधार भाजपा-शिवसेना का है, वे विपक्ष में बैठेंगे. लेकिन जब भाजपा-शिवसेना गठबंधन टूट गया तो एनसीपी ने बेमन ही सही लेकिन मजबूरन सरकार का हिस्सा बनने के लिए शिवसेना का साथ दिया. हालांकि, एनसीपी-शिवसेना-कांग्रेस के गठबंधन वाली सरकार बनी तो नहीं, लेकिन यह कवायद पाइपलाइन में है. 


एनसीपी प्रमुख ने कहा मजबूरी है सरकार बनाना



प्रधानमंत्री मोदी के बयान के बाद ऐसा माना जा रहा है कि एनसीपी कहीं शिवसेना से मुंह न मोड़ ले. बहरहाल, आज ही प्रेस से बात करते हुए एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने कहा कि भाजपा-शिवसेना को सरकार बनाने की जिम्मेदारी मिली थी. वे नहीं बना पाए तो आखिरकार हमें बातचीत के लिए आगे आना पड़ा है. हालांकि, अभी कुछ भी तय नहीं हुआ है. लेकिन राजनीति में बयानों के काफी मायने होते हैं. अब यह देखना होगा कि क्या वाकई इसके बाद महाराष्ट्र में कोई चमत्कार होता है और क्या एनसीपी 'स्टेप बैक' कर जाती है, तब महाराष्ट्र में शिवसेना का सरकार बनाने का दावा धरा का धरा ही रह जाएगा.