नई दिल्लीः प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को अफसोस जताया कि संविधान सभा में महिला सदस्यों के योगदान पर शायद ही कभी चर्चा होती है, वहीं उन्होंने युवाओं के संविधान को बेहतर ढंग से समझने की जरूरत पर जोर दिया. 


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'युवाओं के कंधों पर टिका है संस्थानों का भविष्य'
प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और अन्य न्यायाधीशों की उपस्थिति में शीर्ष अदालत में संविधान दिवस कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि भारत के संविधान और संस्थानों का भविष्य युवाओं के कंधों पर टिका है. 


संविधान सभा में थीं 15 महिला सदस्य
मोदी ने कहा कि संविधान सभा में 15 महिला सदस्य थीं, जिनमें से एक दक्षायिनी वेलायुधन वंचित समाज की थीं. प्रधानमंत्री ने कहा कि वेलायुधन ने दलितों और मजदूरों से संबंधित कई विषयों पर महत्वपूर्ण हस्तक्षेप किया. दुर्गाबाई देशमुख, हंसा मेहता, राजकुमारी अमृत कौर और कई अन्य महिला सदस्यों ने भी महिलाओं से संबंधित विषयों पर महत्वपूर्ण योगदान दिया था. प्रधानमंत्री ने कहा, ‘उनके योगदान पर शायद ही कभी चर्चा की जाती है.’ 


उन्होंने कहा कि संविधान की एक और विशेषता है जो आज के समय में और भी प्रासंगिक हो गई है. प्रधानमंत्री ने कहा कि संविधान निर्माताओं ने हमें एक ऐसा दस्तावेज दिया है, जो खुला, भविष्यवादी और अपनी आधुनिक दृष्टि के लिए जाना जाता है, जो इसे युवा केंद्रित बनाता है. 


युवा शक्ति बना रही है अपनी पहचान
उन्होंने कहा कि खेल हो या स्टार्टअप, सूचना प्रौद्योगिकी हो या डिजिटल भुगतान, युवा शक्ति भारत के विकास के हर पहलू में अपनी पहचान बना रही है. मोदी ने कहा कि युवाओं में संविधान के बारे में समझ बढ़ाने के लिए यह आवश्यक है कि वे संवैधानिक विषयों पर बहस और चर्चा का हिस्सा बनें. 


मोदी ने कहा, इससे संविधान में युवाओं रुचि और बढ़ेगी. उन्होंने कहा कि इससे युवाओं में समानता और सशक्तिकरण जैसे विषयों को समझने का दृष्टिकोण तैयार होगा.


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