Toy Fair में बोले PM Modi: बच्चों का संपूर्ण विकास करते हैं भारतीय खिलौने
खिलौना मेला की शुरुआत करने के साथ पीएम मोदी ने कहा कि आज दुनिया में हर क्षेत्र में भारतीय दृष्टिकोण और भारतीय विचारों की बात हो रही है. भारत के पास दुनिया को देने के लिए यूनिक पर्सपेक्टिव भी है. भारतीय दृष्टिकोण वाले खिलौनों से बच्चों में भारतीयता की भावना आएगी.
नई दिल्लीः प्रधानमंत्री मोदी ने शनिवार को देश के पहले वर्चुअल Toy Fair का शुभारंभ किया. Toy Fair 27 फरवरी से 2 मार्च तक चलेगा. कोरोना के कारण इसे Online आयोजित किया जा रहा है. पीएम मोदी ने इसके उद्घाटन के साथ कहा कि भारतीय दृष्टिकोण वाले खिलौनों से बच्चों में भारतीयता की भावना आएगी. उन्होंने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए मेले का उद्घाटन किया.
भारतीय खिलौनों से भारतीयता की भावना
खिलौना मेला की शुरुआत करने के साथ पीएम मोदी ने कहा कि आज दुनिया में हर क्षेत्र में भारतीय दृष्टिकोण और भारतीय विचारों की बात हो रही है. भारत के पास दुनिया को देने के लिए यूनिक पर्सपेक्टिव भी है. भारतीय दृष्टिकोण वाले खिलौनों से बच्चों में भारतीयता की भावना आएगी.
खिलौना उद्योग में बड़ी ताकत
"उन्होंने प्रतिभागियों से कहा, "आप सभी से बात करके ये पता चलता है कि हमारे देश के खिलौना उद्योग में कितनी बड़ी ताकत छिपी हुई है. इस ताकत को बढ़ाना, इसकी पहचान बढ़ाना,आत्मनिर्भर भारत अभियान का बहुत बड़ा हिस्सा है. यह पहला टॉय फेयर केवल एक व्यापारिक और आर्थिक कार्यक्रम नहीं है. यह कार्यक्रम देश की सदियों पुरानी खेल और उल्लास की संस्कृति को मजबूत करने की कड़ी है.
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साझा होंगे इनोवेशन
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि इस कार्यक्रम की प्रदर्शनी में कारीगरों और स्कूलों से लेकर बहुराष्ट्रीय कंपनियां तक 30 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों से एक हजार से अधिक प्रदर्शक हिस्सा ले रहे हैं. यहां एक ऐसा मंच मिलेगा, जहां खेलों के डिजाइन, इनोवेशन, मार्केटिंग, पैकेजिंग तक चर्चा, परिचर्चा तक करेंगे और अनुभव साझा करेंगे.
प्राचीन भारत जितना है खिलौने का इतिहास
टॉय फेयर 2021 मे आपके पास भारत में ऑनलाइन गेमिंग इकोसिस्टम के बारे में जानने का अवसर होगा. यहां पर बच्चों के लिए ढेरों गतिविधियां भी रखी गई हैं. खिलौनों के साथ भारत का रिश्ता उतना ही पुराना है, जितना इस भूभाग का इतिहास. दुनिया के यात्री जब भारत आते थे, वे भारत में खेलों को सीखते थे और अपने यहां खेलों को लेकर जाते थे.
आज जो शतरंज दुनिया में इतना लोकप्रिय है, वह पहले चतुरंग के रूप में भारत में यहां खेला जाता था. आधुनिक लूडो तब पच्चीसी के रूप में खेला जाता था. प्राचीन मंदिरों में खिलौनों को उकेरा गया है. खिलौने ऐसे बनाए जाते थे, जो बच्चों के चतुर्दिक विकास करें.
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