ऑस्ट्रेलिया के मंत्री का किस्सा पीएम मोदी ने किया साझा, जानिए दिलचस्प वाकया
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को वह किस्सा साझा किया जिसे ऑस्ट्रेलियाई व्यापार मंत्री डॉन फैरेल ने उन्हें सुनाया था कि कैसे उनके एक शिक्षक गोवा से वहां गए थे.
नई दिल्लीः प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को वह किस्सा साझा किया जिसे ऑस्ट्रेलियाई व्यापार मंत्री डॉन फैरेल ने उन्हें सुनाया था कि कैसे उनके एक शिक्षक गोवा से वहां गए थे. मोदी ने कहा कि यह भारत व ऑस्ट्रेलिया के बीच समृद्ध सांस्कृतिक जुड़ाव को रेखांकित करता है. फैरेल ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीज के साथ आए थे जो पिछले सप्ताह आधिकारिक यात्रा पर भारत में थे.
पीएम मोदी ने किया ट्वीट
मोदी ने सिलसिलेवार ट्वीट कर कहा, “मेरे मित्र पीएम अल्बनीज के सम्मान में दोपहर के भोजन के दौरान, ऑस्ट्रेलियाई व्यापार और पर्यटन मंत्री डॉन फैरेल ने कुछ दिलचस्प साझा किया .उन्हें ग्रेड 1 में श्रीमती एबर्ट द्वारा पढ़ाया गया था जिन्होंने उनके जीवन पर गहरा प्रभाव छोड़ा और उन्हें अपनी शैक्षिक नींव के लिए श्रेय दिया.
मोदी ने कहा, “श्रीमती एबर्ट, उनके पति और उनकी बेटी लियोनी 1950 के दशक में भारत में गोवा से एडिलेड चली गईं और ऑस्ट्रेलिया के एडिलेड में एक स्कूल में पढ़ाने लगीं.” उन्होंने कहा कि एबर्ट की बेटी लियोनी दक्षिण ऑस्ट्रेलियाई शिक्षक संस्थान की अध्यक्ष बनीं. प्रधानमनंत्री ने कहा, “भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच समृद्ध सांस्कृतिक जुड़ाव को रेखांकित करने वाला यह किस्सा सुनकर मुझे खुशी हुई. जब कोई अपने शिक्षक को प्रेमपूर्वक संदर्भित करता है तो यह सुनना भी उतना ही सुखद होता है.
खनिज के लिए दोनों देशों में होगी बातचीत
भारत महत्वपूर्ण खनिजों की सुचारू आपूर्ति के लिए ऑस्ट्रेलिया के साथ व्यापक मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) के तहत चर्चा करने पर विचार कर रहा है. सूत्रों ने यह जानकारी दी है. इन खनिजों की भारत के घरेलू बाजार में भारी मांग है. भारत और ऑस्ट्रेलिया ने दिसंबर 2022 में एक आर्थिक सहयोग व्यापार समझौता (ईसीटीए) लागू किया है और अब इसे विस्तार देकर व्यापक समझौता (व्यापक आर्थिक सहयोग समझौता या सीईसीए) में बदलने पर वार्ता चल रही है.
भारत 2030 तक नवीकरणीय ऊर्जा के उत्पादन को बढ़ावा देने का लक्ष्य बना रहा है, इसलिए यहां लीथियम, टाइटेनियम, वैनेडियम, कोबाल्ट, निकल और ग्रेफाइट जैसे महत्वपूर्ण खनिजों की भारी मांग है. भारत की लीथियम-आयन बैटरी विनिर्माण क्षमता फिलहाल सीमित है और वह भी ज्यादातर आयात पर निर्भर है. खनन मंत्रालय के अंतर्गत तीन केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयों के एक संयुक्त उद्यम खनिज बिदेश इंडिया लिमिटेड (काबिल) और ऑस्ट्रेलिया सरकार के महत्वपूर्ण खनिज सुविधा कार्यालय (सीएमएफओ) के बीच एक सहमति पत्र (एमओयू) पर हस्ताक्षर हुए हैं.
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