नई दिल्लीः पीएम मोदी चीन की हर चाल को अच्छी तरह समझते हैं और पाकिस्तान की फितरत को भी बखूबी जानते हैं. इसीलिए चीन और पाकिस्तान भारत के खिलाफ जब भी कोई साजिश करने की कोशिश करते हैं तो पीएम मोदी उसे बेपर्दा कर देते हैं.


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एक बार फिर पीएम मोदी ने चीन और पाकिस्तान को इंटरनेशनल मंच पर खरी खरी सुनाई और जिनपिंग, इमरान की जमकर फजीहत भी की.


इंटरनेशनल मंच पर चीन, पाक की फजीहत
दरअसल, मौका था SCO यानी शंघाई कोऑपरेशन ओर्गेनाईजेशन 2020 की बैठक का, जिसकी आगवानी इस बार रूस कर रहा था. 8 एशियाई देशों के इस संगठन को वर्चुअली संबोधित करते हुए पीएम मोदी बारी बारी से सभी राष्ट्राध्यक्षों का नाम लिया लेकिन जिनपिंग और इमरान खान का जिक्र तक नहीं किया. 



यही नहीं अपनी स्पीच खत्म करते वक्त भी पीएम मोदी ने राष्ट्रपति पुतिन समेत सभी राष्ट्राध्यक्षों को शुक्रिया कहा लेकिन एक बार फिर जिनपिंग और इमरान का नाम तक नहीं लिया.


विस्तारवादी चीन को मोदी की चेतावनी
SCO के मंच पर पीएम मोदी, जितनी देर बोलते रहे..उतनी देर तक जिनपिंग और पुतिन इधर उधर देखते रहे. शायद उन्हें भी उनकी बेइज्जती का एहसास हो रहा था. पीएम मोदी ने एक बार चीन का नाम लिए बिना उसे उसकी विस्तारवादी नीतियों से बाज आने की नसीहत दी।


पाकिस्तान को मोदी की फटकार
यूएम के मंच पर हर बार कश्मीर का राग अलापने वाला पाकिस्तान SCO के मंच पर भी अपनी हरकत से बाज नहीं आया. इमरान खान ने यहां भी कश्मीर का मुद्दा उठाया. इमरान खान ने कश्मीर का नाम लिए बिना यूएन से कश्मीर विवाद का निपटारा करने की अपील की. 



इमरान खान के बाद पीएम मोदी ने समिट को संबोधित किया और इशारों में पाकिस्तान को फटकार लगाते हुए कहा कि शंघाई समिट के मंच पर द्विपक्षीय मुद्दों को ले आना इस संगठन की स्पिरिट का उल्लंघन है.


पीएम मोदी ने जिस तरह से पाकिस्तान और चीन को खरी खरी सुनाते हुए उनके राष्ट्राध्यक्षों को SCO के मंच पर नजरअंदाज किया, उससे चीन और पाकिस्तान भी भारत के इरादों को समझ गए होंगे कि अब नया भारत किसी भी साजिश के आगे न झुकेगा, न रुकेगा बल्कि मुंहतोड़ जवाब देगा. 


क्या है SCO?
एसओसी यानी शंघाई कोऑपरेशन कारपोरेशन 8 एशियाई देशों का एक संगठन है. जिसमें भारत, कज़ाकिस्तान, चीन, किर्गिस्तान, रूस, ताजिकिस्तान, उज़्बेकिस्तान और पाकिस्तान शामिल हैं. SCO को इस समय दुनिया का सबसे बड़ा क्षेत्रीय संगठन माना जाता है और इसमें चीन तथा रूस के बाद भारत तीसरा सबसे बड़ा देश है.



इस संगठन में शामिल होने से भारत का अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व बढ़ा है. इस बार इस संगठन की समिट का आयोजन रूस ने किया था. कोरोना की वजह से सभी देशों के राष्ट्राध्यक्ष वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए जुड़े थे.


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