नई दिल्ली: अर्थशास्त्रियों और जन स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने बजट में सिगरेट (Cigarette) पर शुल्क वृद्धि का स्वागत करने के साथ ही 'अमृत काल' में अन्य तम्बाकू उत्पादों को भी महंगा करने और देश को धूम्रपान-मुक्त बनाने के लिए उच्च करों की वकालत की है.


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सरकार की मंशा को दर्शाता है ये फैसला
अर्थशास्त्री और भाजपा के प्रवक्ता गोपाल कृष्ण अग्रवाल ने कहा कि सिगरेट पर राष्ट्रीय आपदा आकस्मिक शुल्क में 16 प्रतिशत की बढ़ोतरी का बजट प्रस्ताव स्पष्ट रूप से तम्बाकू नियंत्रण नीति को अधिक मजबूत करने तथा देश में हर साल 13 लाख से अधिक लोगों की जान लेने वाले हानिकारक उत्पादों पर उच्च कर लगाने की सरकार की मंशा को दर्शाता है.


अग्रवाल ने एक नागरिक समूह मंच 'टोबैको-फ्री इंडिया' के एक कार्यक्रम में कहा कि तम्बाकू के उपयोग को कम करने के लिए सबसे कुशल रणनीति 'कर नीति' के जरिये ऐसे हानिकारक उत्पादों की कीमत बढ़ाना है.


सिगरेट पर शुल्क में वृद्धि का स्वागत
उन्होंने कहा कि इस मकसद को 'किफायती, उपलब्धता और जागरूकता' की अवधारणा को अमल में लाकर पूरा किया जा सकता है. तम्बाकू उत्पादों की 'किफायती' और 'उपलब्धता' को कम करके उनके हानिकारक प्रभावों के बारे में सार्वजनिक 'जागरूकता' बढ़ाकर करों को बढ़ाया जा सकता है. कार्यक्रम के दौरान देश के अग्रणी अस्पताल एम्‍स के गठिया रोग विभाग की प्रमुख डॉक्‍टर उमा कुमार ने भी सिगरेट पर शुल्क में वृद्धि का स्वागत किया.


उन्होंने तम्बाकू से जुड़ी बीमारियों की बढ़ती संख्या और इसके स्वास्थ्य बोझ की घरों और अर्थव्यवस्था पर चिंताजनक स्थिति प्रस्तुत की. उन्होंने कहा, 'तम्बाकू कैंसर से जुड़े सबसे प्रमुख जोखिम कारकों में से एक है. इससे कई अन्य बीमारियों मसलन श्वसन, स्ट्रोक और दिल का दौरा पड़ने का भी खतरा है.'


गुरुग्राम के फोर्टिस अस्पताल में रक्तरोग विभाग के निदेशक डॉ. राहुल भार्गव ने सिगरेट पर शुल्क में वृद्धि को एक 'लोकप्रिय उपाय' बताया. उन्होंने उम्मीद जताई कि राज्यों के साथ जीएसटी परिषद की अगली बैठक में सभी तम्बाकू उत्पादों पर करों में वृद्धि की जाएगी.


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