एक्सप्लेनर: शराबबंदी में कैसे छलका जहरीला जाम? सिसक रहा बिहार...
बिहार के छपरा में जहरीली शराब से हुई मौत के बाद से बिहार में लगातार सियासी संग्राम मचा है. बीजेपी लगातार सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रही है. सड़क से विधानसभा तक हंगामा जारी है. आपको इस रिपोर्ट में आपको समझाते हैं कि अबतक इस जहरीली शराब त्रासदी में क्या-क्या हुआ है.
नई दिल्ली: बिहार के छपरा में आखिर जहरीला जाम आया कहां से? इस जहरीले जाम बनाने वालों को किसने शह दी थी, इसकी जांच चल रही है. लेकिन इस शराबकांड से पूरा बिहार हिल चुका है. सड़क से लेकर विधानसभा तक इस जहरीले जाम की गूंज सुनाई दे रही है. विधानसभा में बीजेपी ने जमकर हंगामा किया, जिसके बाद विपक्ष को जबाब देने के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मोर्चा संभाला और बीजेपी रको जमकर आड़े हाथों लिया.
विधानसभा में शराब पर 'कुर्सी वार'
शुक्रवार को बिहार विधानसभा में फिर छपरा के शराब कांड को लेकर जमकर हंगामा हुआ. बीजेपी ने विधानसभा में जमकर हंगामा किया और सरकार के खिलाफ नारेबाजी की. हालांकि विधानसभा अध्यक्ष ने हंगामे को देखते हुए पहले से ही मार्शल को अंदर ही बुला लिया था और विपक्ष के विधायकों पर नजर रखने का आदेश दिया था, लेकिन सत्र के शुरू होते ही बीजेपी के विधायकों ने हंगामा करना शुरू कर दिया. मार्शलों मे उन्हें कंट्रोल करने की कोशिश की लेकिन वो उनके कंट्रोल में नहीं आए और विधानसभा में कुर्सी वार शुरू हो गया.
बीजेपी के हंगामे को देखते हुए विधानसभा अध्यक्ष ने सदन की कार्यवाही को स्थगित कर दिया. सदन की कार्रवाई जब दोबारा शुरू हुई तो विपक्ष के खिलाफ खुद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मोर्चा संभाला और जमकर बीजेपी पर हमला बोला. नीतीश कुमार ने कहा कि BJP हमसे अलग हुई है इसीलिए हंगामा कर रही है.
नीतीश सरकार नहीं देगी कोई मुआवजा
नीतीश कुमार ने साफ कर दिया है शराब से मौत पर सरकार कोई मुआवजा नहीं देगी. जो जहरीली शराब पिएगा वो मरेगा ही. साथ ही नीतीश ने कहा कि वो 'मत पियो, मरोगे' का प्रचार भी करेंगे.
तो वहीं बीजेपी ने सदन की कार्रवाई में मौजूद नहीं रही, बीजेपी ने सड़क पर मार्च निकाल कर नीतीश सराकर के खिलाफ प्रदर्शन किया. तो वहीं दूसरी तरफ केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने शराब कांड को लेकर नीतीश कुमार पर तंज करते हुए कहा कि सांसों का सौदा करते हुए सत्ता के सौदागर के पास सहानुभूति का एक शब्द नहीं है. सत्ता के लिए नीतीश कुमार अंधे-बहरे हो गए हैं और राजद के साथी गूंगे हो गए हैं.
एक अधिकारी ने ये बताया है ति एनएचआरसी ने सारण में जहरीली शराब त्रासदी को लेकर बिहार सरकार, राज्य पुलिस प्रमुख को नोटिस जारी किये, चार सप्ताह में जवाब मांगा है.
बिहार में बढ़ी जहरीली शराब से मरने वालों की संख्या
बिहार में जहरीली शराब के सेवन से दो और लोगों की मौत होने से मृतक संख्या बढ़कर 28 हो गई है. सारण जिले के एक शीर्ष अधिकारी ने यह जानकारी दी. हालांकि, मीडिया रिपोर्ट में दावा किया गया है कि जहरीली शराब के सेवन से 50 से अधिक लोगों की मौत हुई है.
सारण के जिलाधिकारी (डीएम) राजेश मीणा ने बताया कि जहरीली शराब बेचने वाले 126 लोगों को गिरफ्तार किया है. 4,000 लीटर से अधिक अवैध शराब जब्त की गई है. वहीं मामले में त्वरित जांच के लिए अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (एएसपी) और तीन पुलिस उपाधीक्षक (डीएसपी) की अगुवाई में 31 पुलिस अधिकारियों का एक विशेष जांच दल (एसआईटी) गठित किया गया है.
इस बीच विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने शुक्रवार को आरोप लगाया कि सरकार जहरीली शराब त्रासदी में मरने वालों की कुल संख्या को छिपा रही है. बिहार विधानसभा में विपक्ष के नेता विजय कुमार सिन्हा ने कहा, 'बिहार में शराबबंदी के बावजूद पुलिस अधिकारियों और राज्य प्रशासन के संरक्षण में जहरीली शराब की बिक्री खूब फल-फूल रही है. लेकिन मुख्यमंत्री चुप हैं और वह आरोपियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कर रहे हैं.'
नीतीश के विवादित बोल- जो पिएगा वो मरेगा
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने गुरुवार को हिदायत दी थी कि अगर लोग जहरीली शराब का सेवन करेंगे तो वे मौत को गले लगाएंगे. मुख्यमंत्री की तीखी टिप्पणी तब आई जब शराबबंदी की उनकी नीति पर राजनीतिक रणनीतिकार से कार्यकर्ता बने उनके पूर्व सहयोगी प्रशांत किशोर सहित कई लोगों ने उन्हें निशाना बनाया और शराबबंदी कानून को खत्म करने की मांग की.
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बरसते हुए कहा कि शराबबंदी 'मेरी व्यक्तिगत इच्छा नहीं बल्कि राज्य की महिलाओं के विलाप का जवाब है, और जो पिएगा वो मरेगा.'
बीजेपी नेताओं ने राज्यपाल को सौंपा ज्ञापन
बीजेपी के विधायकों और विधान पार्षदों ने शुक्रवार को राजभवन मार्च किया और राज्यपाल फागू चौहान को एक ज्ञापन सौंप बिहार में राष्ट्रपति शासन लगाने की अनुशंसा करने का अनुरोध किया.
ज्ञापन में कहा गया है कि विगत कुछ दिनों में ही बिहार में जहरीली शराब के कारण हजारों लोगों की मृत्यु हुई है. इस मुद्दे पर विधान सभा के चलते शीतकालीन सत्र में उठाने का मांग रखा लेकिन सरकार के दबाव में अध्यक्ष द्वारा विपक्ष की उपेक्षा की गई और बोलने का मौका तक नहीं दिया गया. हम सभी का माइक एवं विपक्ष की ओर का कैमरा तक बंद कर दिया गया.
मानवाधिकार आयोग ने डीजीपी को जारी किया नोटिस
बिहार जहरीली शराब त्रासदी को लेकर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने बिहार सरकार और राज्य के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) को नोटिस जारी किया है. अधिकारियों ने शुक्रवार को यह जानकारी दी.
आयोग के बयान के मुताबिक, उसने बिहार के मुख्य सचिव और डीजीपी को नोटिस जारी करके विस्तृत ब्योरा तलब किया है, जिसके तहत पुलिस द्वारा दर्ज प्राथमिकी, अस्पताल में भर्ती पीड़ितों का चिकित्सा उपचार और पीड़ित परिजनों को दी गई क्षतिपूर्ति (यदि की गई है तो) की जानकारी मांगी गई है.
आयोग ने यह भी जानना चाहा कि इस त्रासदी को लेकर जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ क्या कार्रवाई की गई है. आयोग ने सरकार से इस बारे में यथा शीघ्र जवाब मांगा है, लेकिन यह जवाब आदेश जारी होने के बाद से चार हफ्ते के अंदर देना होगा.
सुशासन के नाक के नीचे होता रहा गोरखधंधा?
मीडिया रिपोर्ट्स में किए जा रहे दावे के अनुसार जहरीले शराब ने 50 से अधिक लोगों को काल के गाल में समा दिया है. अब सवाल ये है कि आखिर ये जहराली शराब आयी कहां से इस बीच गांववालों में चर्चा है कि सालों से मशरक थाने में अवैध स्प्रिट जब्त करके रखी हुई है.
ज़ी मीडिया को मिली जानकारी के मुताबिक पुलिस कर्मियों की मदद से ही इन जब्त ड्रमों में से स्प्रिट निकालकर बेची जा रही थी. ये सभी स्प्रिट साल 2014-2015 में जब्त की गई थी. जानकारी मिलने के बाद डीएम और एसपी ने ड्रमों की जांच की थी, जिसके बाद एक और टीम ने मौके पर पहुंच कर जांच शुरू कर दी है.
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कल शराबबंदी को लेकर अपनी तमाम उपलब्धियां गिनाई थी, लेकिन ये नहीं बताया कि शराबबंदी वाले बिहार में जहरीली शराब कैसे बिकती है. और लोगों के पास कैसे पहुंच जाती है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने ये भी नहीं बताया कि बजट का भारी भरकम पैसा जो शराबबंदी को कामयाब करने में खर्च किया जा रहा है, लेकिन जान जाने का सिलसिला क्यों नहीं रुक रहा.
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