नई दिल्ली: मुद्रा नीति समिति ने 2 के मुकाबले 4 के बहुमत से फैसला किया है कि रेपो रेट को 75 बेसिस प्वाइंट घटा दिया जाए.  जिसके बाद ये 4.40 प्रतिशत हो जाएगी. ये दर पहले 5.15 प्रतिशत थी. इसी तरह रिवर्स रेपो रेट में 90 बेसिस प्वाइंट की कमी हो गई है. ये घटकर 4 प्रतिशत रह गई है.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

रिजर्व बैंक के इस फैसले से मिलेगी राहत
रेपो रेट और रिवर्स रेपो में बड़ी कटौती के अलावा रिजर्व बैंक ने और कई बड़े फैसलों का ऐलान किया. रिजर्व बैंक ने कैश रिजर्व रेशियो(CRR) में भी एक फीसदी की भारी कटौती की है. इस कटौती के साथ सीआरआर 4 फीसदी के घटकर 3 फीसदी हो गया है. 


सीआरआर में हुई कटौती और रेपो रेट पर आधारित नीलामी समेत अन्य कदम से बैंकों के पास कर्ज देने के लिए अतिरिक्त 3.74 लाख करोड़ रुपये की नकद राशि उपलब्ध होगी जिससे अर्थ-व्यवस्था को बड़ा आधार मिलेगा.


कैश रिजर्व रेशियो(CRR)वह संचित निधि है. जो रिजर्व बैंक अपने पास किसी भी आपात स्थिति से निपटने से के लिए संचित रखता है. 



EMI देने वालों को मिलेगी राहत
इसके अलावा आरबीआई(RBI) ने ईएमआई से 3 महीने की राहत देने का भी बड़ा ऐलान किया है. इस तीन महीने के दौरान जो लोग ईएमआई का भुगतान करने में सक्षम नहीं होंगे उनपर बैंक न तो कोई दबाव डालेंगे और ना ही उसकी कोई पेनाल्टी उन्हें देनी होगी. इतना ही नहीं इससे कंज्यूमर के क्रेडिट स्कोर पर भी कोई असर नहीं पड़ेगा.


RBI गवर्नर ने दिलाया भरोसा
रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि देश में बैंक व्यवस्था पूरी तरह मजबूत है. निजी बैंकों में जमा राशि बिल्कुल सुरक्षित है लिहाजा लोगों को घबराकर पैसे नहीं निकालने चाहिए. 
हालांकि उन्होंने ये भी कहा कि लॉकडाउन की वजह से आर्थिक विकास दर पर बुरा असर पड़ने की आशंका से इंकार नहीं किया जा सकता. 


गवर्नर ने बताया कि आरबीआई की हालात पर कड़ी नजर है और केंद्रीय बैंक किसी भी आपात स्थिति से निपटने के हर जरूरी कदम उठाएगा.... साथ ही उन्होंने कहा कि देश में नकदी का संकट नहीं आने दिया जाएगा.


कोरोना की वजह से वैश्विक मंदी की आशंका
इस बात की आशंका बढ़ती जा रही है कि वैश्विक अर्थ-व्यवस्था का एक बड़ा हिस्सा मंदी की चपेट में आ सकता है.
 भारत में जीडीपी विकास दर इस वित्तीय वर्ष की चौथी तिमाही में 4.75 प्रतिशत रहने का अनुमान है.
 इस वित्तीय वर्ष में भारत की 5 प्रतिशत की विकास दर का जो अनुमान जताया था अब उसका पूरा होना मुश्किल लग रहा है.