आदिलाबाद. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सोमवार को तेलंगाना के आदिलाबाद इलाके में थे. पीएम मोदी की मंच पर मौजूदगी के वक्त राज्य के सीएम रेवंत रेड्डी ने एक भाषण दिया जो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है. भाषण में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपना 'बड़ा भाई' बताने के साथ ही रेवंत रेड्डी के गुजरात के विकास भी चर्चा करते दिख रहे हैं. साथ ही वो राज्य के विकास के लिए केंद्र के साथ सहयोगात्मक रवैये की बातें कर रहे हैं. 


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'केंद्र के साथ टकराव नहीं चाहते'
मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी ने कहा कि राज्य सरकार केंद्र के साथ टकराव नहीं चाहती है. रेड्डी ने कहा कि राज्य सरकार का केंद्र के साथ टकराव का कोई इरादा नहीं है और वह राज्य के विकास के लिए मिलकर काम करना चाहेगी. रेवंत रेड्डी ने कहा-केंद्र और राज्यों के बीच टकराव होता है तो लोगों को नुकसान होगा. राजनीति केवल चुनाव के दौरान होनी चाहिए. चुनाव के बाद निर्वाचित जन प्रतिनिधियों को केंद्र की मदद से राज्य के विकास के लिए काम करना चाहिए. 


'पीएम मतलब बड़ा भाई'
सीएम रेड्डी ने कहा-हमारे लिए प्रधानमंत्री का मतलब बड़ा भाई. अगर बड़े भाई का समर्थन मिले तो हर मुख्यमंत्री अपने राज्य में विकास को आगे बढ़ा सकता है. अगर हमारे राज्य को गुजरात की तरह विकसित करना है तो आपकी (पीएम मोदी की) मदद की जरूरत है. बता दें कि मुख्यमंत्री के रूप में पदभार संभालने के बाद रेवंत रेड्डी ने प्रधानमंत्री से मुलाकात की और उनसे आंध्र प्रदेश पुनर्गठन अधिनियम, 2014 में की गई प्रतिबद्धताओं को पूरा करने का अनुरोध किया और राज्य से संबंधित अन्य मुद्दों पर भी चर्चा की. उन्होंने मेट्रो रेल के विस्तार, मुसी रिवरफ्रंट विकास और सेमीकंडक्टर उद्योग की स्थापना के लिए केंद्र से सहायता मांगी.


केसीआर से उलट व्यवहार किया
बता दें कि रेवंत रेड्डी ने अपने पूर्ववर्ती मुख्यमंत्री केसीआर से उलट व्यवहार किया है. केसीआर कुछ वर्षों से राज्य के दौरे पर पीएम का स्वागत नहीं कर रहे थे, रेवंत रेड्डी पीएम का स्वागत करने के लिए आदिलाबाद पहुंचे और आधिकारिक कार्यक्रम में भाग लिया. दरअसल बीते साल दिसंबर महीने में तेलंगाना में कांग्रेस की जीत के बाद पीएम मोदी की यह राज्य की पहली यात्रा थी. 


विचारधारा की लड़ाई को विकास पर न हो असर
माना जा रहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पहुंचने पर स्वागत कर रेवंत रेड्डी ने राजनीतिक शिष्टाचार और परंपरा को बनाए रखने की कवायद की है. साथ ही अपने भाषण में उन्होंने यह स्पष्ट संदेश देने की कोशिश की है कि राजनीतिक विचारधारा की लड़ाई में विकास कार्यों पर असर नहीं पड़ना चाहिए. 


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