RSS चीफ मोहन भागवत ने की जनसंख्या पर पॉलिसी बनाने की वकालत, बोले- किसी को न मिले छूट
विजयादशमी उत्सव पर RSS चीफ मोहन भागवत ने भारत में जनसंख्या के मामले पर एक पॉलिसी बनाने और उसे सभी पर समान रूप से लागू करने की वकालत की है. उन्होंने कहा, `जनसंख्या नियंत्रण के साथ साथ पांथिक आधार पर जनसंख्या संतुलन भी महत्व का विषय है जिसकी अनदेखी नहीं की जा सकती.`
नई दिल्ली: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सरसंघचालक मोहन भागवत ने भारत में जनसंख्या के मामले पर एक पॉलिसी बनाने और उसे सभी पर समान रूप से लागू करने की वकालत की है. बुधवार को संघ प्रमुथ भागवत ने एक बयान देते हुए कहा कि भारत में जनसंख्या पर एक समग्र नीति बने जो सब पर समान रूप से लागू हो और किसी को छूट नहीं मिले.
नागपुर में विजया दशमी कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे भागवत
विजयादशमी उत्सव पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के नागपुर स्थित मुख्यालय में आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सरसंघचालक ने कहा, "जनसंख्या नियंत्रण के साथ साथ पांथिक आधार पर जनसंख्या संतुलन भी महत्व का विषय है जिसकी अनदेखी नहीं की जा सकती. जनसंख्या असंतुलन भौगोलिक सीमाओं में बदलाव का कारण बनती है, ऐसे में नयी जनसंख्या नीति सब पर समान रूप से लागू हो और किसी को छूट नहीं मिलनी चाहिए."
भागवत ने दिया चीन का उदाहरण
चीन की एक परिवार एक संतान की नीति का उल्लेख करते हुए भागवत ने कहा, "जहां हम जनसंख्या पर नियंत्रण का प्रयास कर रहे हैं, वहीं हमें देखना चाहिए कि चीन में क्या हो रहा है. उस देश ने एक परिवार, एक संतान नीति अपनाया और अब वह बूढ़ा हो रहा है. भारत में 57 करोड़ युवा आबादी के साथ यह राष्ट्र अगले 30 वर्षों तक युवा बना रहेगा."
भागवत ने कहा कि दो प्रकार की बाधाएं सनातन धर्म के समक्ष रूकावट बन रही हैं जो भारत की एकता एवं प्रगति के प्रति शत्रुता रखने वाली ताकतों द्वारा सृजित की गई हैं. ऐसी ताकतें गलत बातें एवं धारणाएं फैलाती हैं, अराजकता को बढ़ावा देती हैं, आपराधिक कार्यों में संलग्न होती हैं, आतंक तथा संघर्ष एवं सामाजिक अशांति को बढ़ावा देती हैं.
बाबा साहब अंबेडकर का भी किया जिक्र
भागवत ने कहा, "केवल समाज के मजबूत एवं सक्रिय सहयोग से ही हमारी समग्र सुरक्षा एवं एकता सुनिश्चित की जा सकती है. शासन व प्रशासन के इन शक्तियों के नियंत्रण व निर्मूलन के प्रयासों में हमको सहायक बनना चाहिए. समाज का सबल व सफल सहयोग ही देश की सुरक्षा व एकात्मता को पूर्णत: निश्चित कर सकता है. संविधान के कारण राजनीतिक तथा आर्थिक समता का पथ प्रशस्त हो गया, परन्तु सामाजिक समता को लाये बिना वास्तविक व टिकाऊ परिवर्तन नहीं आयेगा ऐसी चेतावनी बाबा साहब आंबेडकर जी ने सभी को दी थी."
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