मुंबई. शिवसेना-कांग्रेस का महाराष्ट्र गठजोड़ कमज़ोर होता नज़र आ रहा है, कम से कम संजय राउत के बागी तेवर तो यही बता रहे हैं. उनके कड़क बोल अब ऐसे हालात पैदा कर रहे हैं कि या तो उद्धव ठाकरे संजय राउत को पार्टी से बाहर करने को मजबूर होंगे  या फिर वे कांग्रेस से नाता तोड़ेंगे..चूंकि ये दोनों ही विकल्प असम्भव जैसे हैं इसलिए तीसरा और इकलौता विकल्प संजय राउत के लिए शिवसेना की तरफ से कांग्रेस से किनाराकशी का ही बचता है.



''सावरकर पर कोई समझौता नहीं ''


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सामना के मूल मराठी संस्करण के सम्पादक संजय राउत पार्टी के भीतर रह कर भी पार्टी के साथ नहीं नज़र आ रहे. सावरकर को लेकर शिवसेना पहले भी कभी समझौता नहीं करती थी और आज संजय राउत भी वही कह रहे हैं. संजय राउत के हालिया बयान ने महाराष्ट्र के सियासी गलियारों में सनसनी पैदा कर दी है. संजय राउत ने कहा है कि वीर सावरकर के विरोधियों को जेल भेजना चाहिए. जेल में रह कर ही वे समझेंगे कि वीर सावरकर ने देश के लिये क्या किया है.


शिवसेना ने कहा कि ये संजय राउत का निजी विचार है 


संजय राउत के इन बागी तेवरों पर लगाम लगा पाने में नाकाम शिवसेना के बड़े नेता सरकार बचाने की कोशिशों में लग गए हैं और इसके लिए सीएम उद्धव के मंत्री बेटे आदित्य ठाकरे ने कहा कि शिवसेना का संजय राउत के इस निजी विचार से कोई लेनादेना नहीं है.



संजय राउत का क्या करें उद्धव ठाकरे 


मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के लिए संजय राउत नित नई समस्या पैदा कर रहे हैं. और अब इस बयान के बाद भी वे चुप बैठ जाएंगे, ये भी होने से रहा. सावरकर पर समझौता न करने के सिद्धांत पर अड़े संजय राउत को अब खुद उद्धव ठाकरे भी पार्टी से बाहर नहीं कर सकते क्योंकि बात सावरकर की है, संजय राउत की नहीं. पार्टी में बगावत हो सकती है, सरकार भी गिर सकती है और सबसे पहले तो बाहर जाते ही संजय राउत अपनी शिवसेना नंबर दो नहीं बना लेंगे -इसकी भी कोई गारंटी नहीं. 


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