नई दिल्ली: देश में कोरोना के नए वैरिएंट ओमिक्रोन के खतरे को देखते हुए सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने DCGI के सामने भारत में कोवीशील्ड वैक्सीन के बूस्टर डोज को मंजूरी देने की मांग रखी है.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

सूत्रों के हवाले से यह जानकारी सामने आई है कि सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के पास वर्तमान में कोविशील्ड वैक्सीन के पर्याप्त डोज हैं और देश में कोरोना के नए वैरिएंट ओमिक्रोन के खतरे को देखते हुए वह इसके बूस्टर डोज के रूप में इस्तेमाल की मंजूरी चाहता है.


एस्ट्राजेनेका की कोविड वैक्सीन को मिल चुकी है मंजूरी 


इससे पहले ब्रिटेन की मेडिकल रेगुलेटरी ने एस्ट्राजेनेका की कोविड वैक्सीन को ब्रिटेन में बूस्टर डोज के रूप में इस्तेमाल की मंजूरी मिल चुकी है. 


मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने भी इसी का हवाला देते हुए कोविशील्ड के बूस्टर डोज को मंजूरी देने की मांग की है.


सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया का कहना है कि ब्रिटेन की तरह भारत में भी वैक्सीन के बूस्टर डोज के इस्तेमाल की मंजूरी मिलनी चाहिए. 


ओमिक्रोन पर रिसर्च कर रहा है सीरम इंस्टीट्यूट 


DCGI के सामने बूस्टर डोज के इस्तेमाल की मंजूरी की मांग रखने से पहले सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के सीईओ अदार पूनावाला ने अपने एक बयान में यह कहा था कि सीरम इंस्टीट्यूट जल्द ही कोविशील्ड का बूस्टर डोज बना सकता है. 


उन्होंने अपने बयान में यह भी कहा था कि अभी कोरोना के नए वैरिएंट ओमिक्रोन पर रिसर्च की जा रही है. अभी इस अध्ययन में लगभग 2 हफ्तों का समय लग सकता है. 


उन्होंने अपने बयान में इस बात का भी जिक्र किया कि ऑक्सफोर्ड के वैज्ञानिक भी कोरोना के नए वैरिएंट पर रिसर्च कर रहे हैं और उस रिसर्च के आधार पर हम नई कोरोना वैक्सीन भी ला सकते हैं. 


इस वैक्सीन का इस्तेमाल 6 महीनों के भीतर बूस्टर डोज के रूप में भी किया जा सकेगा. उन्होंने यह भी कहा जैसे ही रिसर्च के परिणाम सामने आएंगे, उसके बाद हम वैक्सीन की तीसरी और चौथी डोज के बारे में भी सोच सकते हैं. 


यह भी पढ़िए: विदेश से लौटे 100 यात्री हुए 'लापता' ओमीक्रोन के खतरे को लेकर सकते में प्रशासन


Zee Hindustan News App: देश-दुनिया, बॉलीवुड, बिज़नेस, ज्योतिष, धर्म-कर्म, खेल और गैजेट्स की दुनिया की सभी खबरें अपने मोबाइल पर पढ़ने के लिए डाउनलोड करें ज़ी हिंदुस्तान न्यूज़ ऐप.