नई दिल्लीः संसद हो या विधानसभा, ज्यादातर हम यही देखते आए हैं कि एक तरफ सत्तापक्ष के नेता बैठते हैं और दूसरे तरफ विपक्ष के. सत्ता पक्ष के नेताओं की संख्या अधिक होती है, उनके पास बहुमत होता है इसलिए वे सरकार चलाते हैं जबकि विपक्ष का संख्याबल कम होता है लेकिन लोकतंत्र में उनकी भूमिका भी काफी अहम होती है. वे अहम मुद्दों पर सरकार से सवाल पूछते हैं. 


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यह तो हुई सामान्य स्थिति जिसके बारे में हम जानते हैं लेकिन कोई आपसे कहे कि भारत में एक ऐसा राज्य है जहां विधानसभा में विपक्ष का कोई विधायक बचा ही नहीं है तो जरूर आपको आश्चर्य हो सकता है. ये आश्चर्य की स्थिति तब और बढ़ सकती है जब आपको पता चले यह पहली बार नहीं हुआ, 10 साल पहले भी इस तरह की स्थिति बनी थी.


विपक्ष विहीन हो गई है सिक्किम विधानसभा


दरअसल यहां पर हम बात कर रहे हैं सिक्किम की. राज्य में विपक्ष के एकमात्र विधायक तेनजिंग नोरबू लाम्था सिक्किम डेमोक्रेटिक फ्रंट छोड़कर सत्तारूढ़ पार्टी सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा में शामिल हो गए हैं. वह बुधवार को एसकेएम में शामिल हुए. सिक्किम में अब विपक्ष का कोई भी विधायक नहीं है. राज्य में ठीक इसी तरह की स्थिति 10 साल पहले भी बनी थी जब विपक्ष का कोई भी सदस्य नहीं था.


वर्तमान विधानसभा की बात करें तो सिक्किम में 32 में से 30 विधायक हैं और सभी एसकेएम से हैं. राज्य में दो सीटें जो खाली हैं वो मुख्यमंत्री प्रेम सिंह तमांग की सोरेंग-चाकुंग सीट और उनकी पत्नी कृष्णा राय की नामची-सिंघीथांग सीट है. प्रेम सिंह तमांग ने दो सीटों से चुनाव लड़ा था और वो दोनों ही सीटों से चुने गए थे. 


एसडीएफ के एकमात्र विधायक थे लाम्था


इसके बाद उन्होंने रेनॉक सीट पर बने रहने का फैसला किया और सोरेंग-चाकुंग सीट को छोड़ दिया. उन्होंने लाम्था के एसकेएम में शामिल होने पर कहा कि तेनजिंग नोरबू लाम्था से मिलकर खुशी हुई है. वह आधिकारिक रूप से हमारी पार्टी से जुड़ गए हैं. 


लाम्था सियारी विधानसभा से चुने गए थे. उन्होंने वरिष्ठ एसकेएम नेता कुंगा नीमा लेप्चा को हराया था. राज्य में 2 जून को चुनाव परिणाम घोषित किए गए थे जिसमें एसकेएम को 31 और विपक्षी एसडीएफ को 1 सीट मिली थी. इस एकमात्र सीट पर लाम्था जीते थे जो अब एसकेएम में शामिल हो गए हैं.