ICMR ने बताया, कोरोना से उबरे लोगों के लिए डेल्टा वेरिएंट के खिलाफ पर्याप्त है वैक्सीन का एक डोज
कोरोना संक्रमण का सामना करने वाले लोगों को डेल्टा वेरिएंट से डरने की जरूरत नही ंहै जिन्होंने वैक्सीन का एक या दोनों डोज लगवा लिए हैं.
नई दिल्ली: भारत में कोरोना वायरस संक्रमण का करोड़ों लोग सामना करके उबर चुके हैं. कोरोना के डेल्टा वेरिएंट ने भारत में मार्च के बाद जमकर कहर बरपाया. दूसरी लहर में भारत में हाहाकार मचने के कारण यही वेरिएंट था. ऐसे में अब पूरी दुनिया के लिए कोरोना का डेल्टा वेरिएंट खतरे की नई घंटी बनकर उबरा है. डब्लूएचओ ने भी सबको इस वायरस के खतरे से आगाह किया है.
ऐसे में आईसीएमआर के अध्ययन में उन लोगों के लिए अच्छी खबर आई है जो लोग कोरोना से संक्रमित होने के बाद उबर गए हैं और वैक्सीन का एक या दो डोज लगवा चुके हैं. आईसीएमआर की स्टडी में पाया गया है कि कोरोना संक्रमित होने के बाद वैक्सीन का एक या दोनों डोज लगवाने वाले लोग उन लोगों की तुलना डेल्टा वेरिएंट के खिलाफ ज्यादा सुरक्षित हैं जिन्होंने बचाव के लिए कोरोना वैक्सीन के एक या दोनों डोज लगवा लिए हैं.
डेल्टा वेरिएंट के खिलाफ मिलती है सुरक्षा
आईसीएमआर ने अपनी इस स्टडी में बताया है कि एंटीबॉडी और कोशकीय प्रतिरोधक क्षमता डेल्टा वेरिएंट के खिलाफ सुरक्षा में अहम भूमिका अदा करती है. कोरोना का डेल्टा वेरिएंट अन्य की तुलना में ज्यादा तेजी से फैसला है. आईसीएमआर के स्टडी में खुलासा हुआ है 'कोरोना संक्रमण से उबरने वाले जिन लोगों ने वैक्सीन का एक या दोनों डोज लगवाएं हैं उनके अंदर डेल्टा वेरिएंट का सामना करने की अधिक क्षमता होती है. अध्ययन की अभी समीक्षा की जानी है और इसे शुक्रवार को ‘बायोरेक्सिव प्रीप्रिंट सर्वर’ पर पोस्ट किया गया था.
कोविशील्ड टीके पर किया परीक्षण
भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर), राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान, पुणे और न्यूरोसर्जरी विभाग, कमांड हॉस्पिटल (दक्षिणी कमान) के वैज्ञानिकों ने कोविड-19 के संबंध में कोविशील्ड टीके को लेकर अध्ययन किया है. भारत में बी.1.617 के मामलों में हालिया उभार के बाद लोक स्वास्थ्य के लिए नयी चिंताएं पैदा हो गयी हैं. अध्ययन में कहा गया, 'स्वरूप में आगे बी.1.617.1 (कप्पा), बी.1.617.2 (डेल्टा) और बी.1.617.3 बदलाव हुआ. जाहिर है, डेल्टा स्वरूप धीरे-धीरे दूसरे स्वरूप पर हावी हो गया है। इसी के साथ विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने इसे चिंता का विषय बताया है.' अध्ययन में कहा गया, 'डेल्टा स्वरूप के ज्यादा प्रसार से भारत में महामारी की दूसरी लहर पैदा हुई, जिसने लाखों लोगों को प्रभावित किया.'
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