विधानसभा में इस नेता ने लगाया था `पाकिस्तान जिंदाबाद` का नारा, केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में की ये मांग
केंद्र सरकार ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट से कहा कि जम्मू एवं कश्मीर विधानसभा में `पाकिस्तान जिंदाबाद` का नारा लगाने वाले नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता मोहम्मद अकबर लोन को भारत के संविधान के प्रति निष्ठा और केंद्र शासित प्रदेश में पाकिस्तान प्रेरित आतंकवाद व अलगाववाद के विरोध में हलफनामा पेश करना चाहिए.
नई दिल्लीः केंद्र सरकार ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट से कहा कि जम्मू एवं कश्मीर विधानसभा में 'पाकिस्तान जिंदाबाद' का नारा लगाने वाले नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता मोहम्मद अकबर लोन को भारत के संविधान के प्रति निष्ठा और केंद्र शासित प्रदेश में पाकिस्तान प्रेरित आतंकवाद व अलगाववाद के विरोध में हलफनामा पेश करना चाहिए.
केंद्र सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने संविधान पीठ के समक्ष दलील दी कि अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के खिलाफ दायर याचिकाओं में अकबर लोन मुख्य याचिकाकर्ताओं में से एक हैं.
'लोन को हलफनामा पेश करना चाहिए'
उन्होंने आग्रह किया कि नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता को एक हलफनामा दाखिल करना चाहिए कि वह भारत के संविधान के प्रति निष्ठा रखते हैं और जम्मू-कश्मीर या अन्य जगहों पर पाकिस्तान प्रेरित आतंकवाद और अलगाववाद का विरोध करते हैं. उन्होंने कहा कि अगर वह ऐसा नहीं करते हैं, तो यह 'दूसरों को प्रोत्साहित कर सकता है' और केंद्र शासित प्रदेश में सामान्य स्थिति लाने के प्रयास प्रभावित हो सकते हैं.
मेहता ने कहा कि लोन 'कोई सामान्य व्यक्ति नहीं' बल्कि 'संसद के सदस्य' हैं. उन्होंने कहा, 'जिम्मेदार नेताओं की ओर से इसका अपना संदर्भ और गंभीरता है.'
'खुद को भारतीय बनाने से झिझक रहे थे लोन'
सुनवाई की शुरुआत में अनुच्छेद 370 को बरकरार रखने की दलील देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रही संविधान पीठ के समक्ष अतिरिक्त हलफनामा दाखिल करने की अनुमति मांगने वाले एक आवेदन का उल्लेख किया गया. संविधान पीठ को बताया गया कि हलफनामे से 'चौंकाने वाले' तथ्य का खुलासा होता है कि लोन ने राज्य विधानसभा में पाकिस्तान समर्थक नारे लगाए थे और खुद को भारतीय बताने में झिझक रहे थे.
वकील ने कहा, 'याचिकाकर्ता मोहम्मद अकबर लोन ने कई मंचों पर और विधानसभा में 'पाकिस्तान जिंदाबाद' कहा था और उन्हें इसका कोई पछतावा नहीं है.'
पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ कर रही सुनवाई
भारत के मुख्य न्यायाधीश डी.वाई.चंद्रचूड़ ने टिप्पणी की, 'हमने अखबार देखा है, यह ठीक है.' कहा कि वह जवाबी सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता से जवाब मांगेंगे. पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ 2019 के राष्ट्रपति के आदेश को चुनौती देने वाली कई याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है जिसमें पूर्ववर्ती जम्मू-कश्मीर राज्य को दी गई विशेष स्थिति को छीन लिया गया है और इसे दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित कर दिया गया.
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