नई दिल्ली. कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया अब तक नागरिकता क़ानून विरोधी आंदोलन को भांपने की कोशिश में खामोश थीं. वैसे उन्हें पता था कि उनके पास बोलने को है भी कुछ नहीं. किन्तु अब काफी सोच समझ कर आखिर उन्होंने अपनी टिप्पणी कर ही दी और कहा कि ये सरकार जनभावनाओं का आदर नहीं कर रही है.



''मोदी सरकार को जनता की भावनाओं की चिंता नहीं''


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 कांग्रेस अध्यक्षा ने ये बात खुद कही या उन्हें किसी ने प्रेरित किया तब वे बोलीं, ये गैरज़रूरी बात है किन्तु ज़रूरी बात ये है कि जो बोला सोनिया ने उसका अर्थ खुद उनको भी नहीं पता. जनभावनाओं का अर्थ न वे जानती हैं न उनकी पार्टी वरना इसके पहले देश में उनकी पार्टी कांग्रेस ने ही साढ़े छह दशक तक सरकार-राज चलाया है जिसे जनभावना का अर्थ उतना ही पता नहीं था जितना सोनिया जी को.


जनभावना को दृष्टि में रख कर ही बना है नागरिकता क़ानून 


सोनिया गाँधी को किसी ने नहीं बताया कि नागरिकता संशोधन क़ानून 2019 जनभावना को मद्देनज़र रख कर ही बनाया गया है. देश के सीमित संसाधनों पर देश के लोगों का पहला हक है, यही जनभावना है.  जिन लोगों से देश को नुकसान पहुँच सकता है उनको नागरिकता न देना भी जनभावना ही है. 



जनभावना का आदर सोनिया जी की सास प्रधानमंत्री ने किया था आपातकाल लगा कर


 जब 1975 से 1977 तक अठाहरह महीनों के लिए इंदिरा गांधी ने देश में आपातकाल लगा कर देशवासियों का उत्पीड़न किया था तो वह किस तरह का जनभावना का आदर था, इस प्रश्न का उत्तर देने के बाद ही सोनिया गाँधी को मोदी की राष्ट्रवादी सरकार के ऊपर कोई टिप्पणी करनी चाहिए.