नई दिल्ली: केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी सुभाष चंद्र बोस को लेकर एक बड़ा बयान दिया है. राजनाथ सिंह ने कहा है कि सुभाष चंद्र बोस अविभाजित भारत के पहले प्रधानमंत्री थे और उस समय उन्होंने ब्रिटिश शासन से स्वतंत्र 'आजाद हिंद सरकार' का गठन किया था. 


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आजादी के बाद योगदान को कर दिया गया नजरअंदाज


राजनाथ ने यह भी कहा कि देश को आजादी मिलने के बाद बोस के योगदान को नजरअंदाज कर दिया गया या उसे कमतर करके आंका गया. उन्होंने यह भी कहा कि जब से नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बने हैं, बोस को वह सम्मान देने के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं जिसके वह हकदार हैं. बता दें कि राजनाथ सिंह ग्रेटर नोएडा के एक निजी विश्वविद्यालय में एक कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे. 


क्या कहा रक्षा मंत्री ने


स्वतंत्र भारत में एक समय ऐसा था जब बोस के योगदान को जानबूझकर नजरअंदाज किया जाता था या कम करके आंका जाता था, उसका सही मूल्यांकन नहीं किया जाता था. ऐसा इस हद तक किया गया कि उनसे जुड़े कई दस्तावेज कभी सार्वजनिक नहीं किए गए. रक्षा मंत्री ने कहा, ‘‘वर्ष 2014 में जब नरेंद्र मोदी भारत के प्रधानमंत्री बने, तो उन्होंने नेताजी सुभाष चंद्र बोस को वह सम्मान देना शुरू कर दिया, जिसके वे हमेशा और सही हकदार थे.’’ सिंह ने कहा कि जब वह भारत के गृह मंत्री के रूप में सेवा कर रहे थे, तब उन्हें बोस के परिवार के सदस्यों से मिलने का मौका मिला, जिसके बाद उनसे संबंधित 300 से अधिक दस्तावेजों को सार्वजनिक कर दिया गया और भारत के लोगों को समर्पित कर दिया गया.


हर भारतीय को बोस के बारे में बताया जाना चाहिए


रक्षा मंत्री ने कहा कि हर भारतीय को बोस के बारे में बताया जाना चाहिए. कभी-कभी लोग सोचते हैं कि नेताजी के बारे में और क्या है जो हम नहीं जानते. अधिकतर भारतीय उन्हें एक प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी, आजाद हिंद फौज के सर्वोच्च कमांडर और एक क्रांतिकारी के रूप में जानते हैं, जिन्होंने भारत की स्वतंत्रता के लिए कई कठिनाइयों का सामना किया.


कहा अविभाजित भारत के पहले प्रधानमंत्री


सिंह ने कहा कि लेकिन बहुत कम लोग उन्हें अविभाजित भारत के पहले प्रधानमंत्री के रूप में जानते हैं. दोस्तों, आजाद हिन्द फौज और आजाद हिंद सरकार, जो भारत की पहली स्वदेशी सरकार थी, मुझे इसे पहली स्वदेशी सरकार कहने में कोई झिझक नहीं है. नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने इस सरकार का गठन किया था और 21 अक्टूबर, 1943 को प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली थी. उन्होंने कहा कि आजाद हिंद सरकार एक प्रतीकात्मक सरकार नहीं थी, बल्कि एक ऐसी सरकार थी जिसने मानव जीवन के कई महत्वपूर्ण पहलुओं पर विचार और नीतियां प्रस्तुत की थीं.


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