Sukhbir Badal: जब 1983 में पंजाब के DIG अटवाल की स्वर्ण मंदिर में कर दी गई हत्या, शव के इर्द-गिर्द नाचते रहे हत्यारे, सहम उठा बाजार
Punjab police DIG AS Atwal killing Case: बादल की हत्या का यह प्रयास उसी तरह और उसी स्थान पर हुआ, जहां पंजाब पुलिस के डीआईजी एएस अटवाल पर गोलीबारी की गई. अब जहां दशकों बाद स्वर्ण मंदिर में ऐसा फिर हुआ.
DIG AS Atwal assassination in 1983: शिरोमणि अकाली दल (SAD) के नेता सुखबीर सिंह बादल पर बुधवार को पंजाब के अमृतसर में स्वर्ण मंदिर में हत्या का प्रयास किया गया. एक व्यक्ति ने उनकी ओर गोली चलाई, लेकिन एक पुलिसकर्मी द्वारा काबू कर लिए जाने के कारण गोली निशाना चूक गई.
गोलीबारी की यह घटना उस समय हुई जब सुखबीर सिंह बादल और अन्य अकाली नेता सिख धर्मगुरुओं द्वारा उन पर लगाए गए धार्मिक दंड के तहत कर्तव्यों का पालन करने के लिए स्वर्ण मंदिर में थे.
यह हत्या का प्रयास पंजाब पुलिस के उप महानिरीक्षक (DIG) एएस अटवाल की उसी स्थान पर और इसी तरह की गोलीबारी की घटना के चार दशक बाद हुआ है. इस घटना में अटवाल की मृत्यु हो गई थी.
जालंधर रेंज के डीआईजी के रूप में तैनात आईपीएस अधिकारी अटवाल की 25 अप्रैल, 1983 को सुबह करीब 11 बजे स्वर्ण मंदिर परिसर से बाहर निकलते समय एक अज्ञात व्यक्ति ने गोली मारकर हत्या कर दी थी.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, 11 वर्षीय बालक वरिंदरजीत सिंह और अमृतसर निवासी कुलविंदर सिंह भी हमले में घायल हो गए थे और उन्हें अस्पताल ले जाया गया था, जहां वरिंदरजीत की मौत हो गई थी.
'हत्यारे शव के इर्द-गिर्द नाचते रहे'
तत्कालीन केंद्रीय गृह मंत्री पीसी सेठी ने संसद में बताया था कि हमलावर दरबार साहिब परिसर के अंदर से राइफल लेकर आया था और अपराध करने के बाद वापस दरबार साहिब की तरफ भाग गया था.
सेठी ने कहा था कि इस घटना ने सरकार को मिल रही उस सूचना की पुष्टि की है जिसमें दल खालसा कार्यकर्ताओं सहित वांछित अपराधियों के धार्मिक स्थलों पर शरण लेने की बात कही गई थी.
बता दें कि डीआईजी अटवाल के अंगरक्षक और पुलिसकर्मी, जो गोलीबारी की घटना स्थल से कुछ ही दूरी पर तैनात थे, वह घटनास्थल से भाग गए थे.
पंजाब के पूर्व डीजीपी केपीएस गिल ने अटवाल की हत्या के बारे में बोलते हुए कहा कि हत्यारे मारे गए डीआईजी के इर्द-गिर्द नाच रहे थे.
गिल ने कहा, 'दुकानदारों ने अपनी दुकानें बंद कर लीं और किसी ने शव के पास जाने की हिम्मत नहीं की. हत्यारों ने गिरे हुए डीआईजी के इर्द-गिर्द भांगड़ा किया और फिर मंदिर में वापस चले गए. अटवाल का शव, गोलियों से छलनी, सिखों के सबसे पवित्र मंदिर के मुख्य द्वार पर दो घंटे से अधिक समय तक पड़ा रहा, जब तक कि जिला आयुक्त मंदिर के अधिकारियों को शव सौंपने के लिए राजी नहीं कर पाए.'
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