SC ने दी चारधाम राजमार्ग की चौड़ाई बढ़ाने की मंजूरी, चीन सीमा तक आसान होगी पहुंच
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने मंगलवार को चारधाम परियोजना (Chardham Project) से जुड़े तीन राजमार्गों पर सड़कों को चौड़ा करने की रक्षा मंत्रालय की याचिका को स्वीकार कर लिया है. कोर्ट ने चारधाम राजमार्ग की चौड़ाई बढ़ाकर दो लेन करने की मंजूरी दी.
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने मंगलवार को चारधाम परियोजना (Chardham Project) से जुड़े तीन राजमार्गों पर सड़कों को चौड़ा करने की रक्षा मंत्रालय की याचिका को स्वीकार कर लिया है. कोर्ट ने चारधाम राजमार्ग की चौड़ाई बढ़ाकर दो लेन करने की मंजूरी दी.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, कोर्ट ने कहा कि हालिया घटनाओं ने गंभीर राष्ट्रीय सुरक्षा चुनौती पेश की है. पीठ ने कहा कि किसी फैसले की न्यायिक समीक्षा करते समय सेना की इन्फ्रस्ट्रक्चर की जरूरतों को लेकर दूसरा अनुमान नहीं लगाया जा सकता.
शीर्ष अदालत ने साथ ही सुप्रीम कोर्ट के एक पूर्व न्यायाधीश की अध्यक्षता में 'निगरानी समिति' का गठन किया, जो परियोजना से जुड़े पर्यावरणीय मुद्दों के हल के लिए उच्चाधिकार प्राप्त समिति (एचपीसी) की सिफारिशें लागू करना सुनिश्चित करेगी.
एके सीकरी की अध्यक्षता में बनाई समिति
जस्टिस डी.वाई. चंद्रचूड़, सूर्यकांत और विक्रम नाथ ने कहा, "इन सिफारिशों के कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने के लिए, हमने एक निगरानी समिति भी बनाई है, जो सीधे इस न्यायालय को रिपोर्ट करेगी. इस समिति की अध्यक्षता इस अदालत के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति अर्जन कुमार सीकरी करेंगे."
"इस परियोजना में जो कुछ भी दांव पर है, वह पर्यावरण का स्वास्थ्य और क्षेत्र में रहने वाले सभी व्यक्तियों पर इसका प्रभाव भी है."
रक्षा मंत्रालय ने दायर की थी याचिका
बता दें कि कोर्ट ने यह आदेश रक्षा मंत्रालय की ओर से सितंबर 2020 के आदेश में संशोधन की मांग संबंधी याचिका पर दिया. रक्षा मंत्रालय ने कहा था कि चीन की सीमा तक सेना की टुकड़ियों, भारी हथियारों को पहुंचाने के लिए चौड़ी सड़क की जरूरत है.
अध्यक्ष को तकनीकी सहायता प्राप्त करने में सक्षम बनाने के लिए राष्ट्रीय पर्यावरण इंजीनियरिंग अनुसंधान संस्थान (एनईईआरआई) के एक प्रतिनिधि को निदेशक द्वारा नामित किया जाएगा, और वन अनुसंधान संस्थान, डीम्ड यूनिवर्सिटी, देहरादून के एक प्रतिनिधि सहायता करेंगे.
सिफारिशों को लागू कराना है समिति का काम
शीर्ष अदालत ने कहा कि इस समिति का उद्देश्य नए सिरे से परियोजना का पर्यावरण विश्लेषण करना नहीं है, बल्कि एचपीसी की ओर से पहले से दी गई सिफारिशों के कार्यान्वयन का आकलन करना है.
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