नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने मानवीय आधार पर एक ऐसे एचआईवी पीड़ित आरोपी को जमानत दी है, जिसके खिलाफ राजस्थान के अलग-अलग पुलिस थानों में 17 अपराधिक मामले पेडिंग हैं. राजस्थान हाईकोर्ट ने आरोपी की ओर से दायर सजा निलंबन की अपील को चार बार खारिज कर दिया था.


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आरोपी ने सुप्रीम कोर्ट में दायर की थी अपील


मेडिकल बोर्ड द्वारा दी गयी रिपोर्ट को भी राजस्थान हाईकोर्ट ने स्वीकार करने से इंकार कर दिया था. हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ आरोपी ने सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर की.


जस्टिस एस रविन्द्र भट्ट और जस्टिस पी एस नरसिम्हन की बेंच ने आरोपी को जमानत देने के लिए मेडिकल बोर्ड की उस रिपोर्ट को आधार माना है, जिसमें कहा गया कि रोगी को आराम करने में गंभीर समस्या है और बिना सहारा के नहीं चल सकता. रिपोर्ट में आरोपी याचिकाकर्ता को बार-बार संक्रमण होने का खतरा बताते हुए नियमित उपचार की आवश्यकता जतायी गयी.


अदालत ने पीड़ित को इस कारण दी जमानत


कोर्ट अदालत ने कहा है कि मामले की अजीबो-गरीब परिस्थितियों को देखते हुए कि याचिकाकर्ता एचआईवी से पीड़ित है और प्रतिरक्षा से समझौता करता प्रतीत होता है, इस न्यायालय की राय है कि जमानत देने का मामला बनता है. परिस्थितियों में, याचिकाकर्ता को ट्रायल कोर्ट द्वारा लगाए गए ऐसे नियमों और शर्तों के अधीन जमानत पर बढ़ाया जाएगा.


कोर्ट ने कहा कि चूंकि याचिकाकर्ता अपीलकर्ता के खिलाफ कई मामले में लंबित है इसलिए सामान्य परिस्थितियों के अलावा, संबंधित निचली अदालत संबंधित पुलिस स्टेशन में समय-समय पर रिपोर्टिंग के संबंध में उपयुक्त शर्तें भी लगा सकती है.


सुप्रीम कोर्ट ने माना कि याचिकाकर्ता ह्यूमन इम्युनोडेफिशिएंसी वायरस और एक्वायर्ड इम्यून डिफिशिएंसी सिंड्रोम (रोकथाम और नियंत्रण) अधिनियम, 2017 की धारा 34(2) के तहत अपनी अपील के शीघ्र निपटारा का लाभ पाने का हकदार है.


प्रावधान 2 के अनुसार एचआईवी पॉजिटिव व्यक्ति से संबंधित या उससे संबंधित किसी भी कानूनी कार्यवाही में अदालत प्राथमिकता के आधार पर कार्यवाही करेगी और उसका निपटारा करेगी. सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान हाईकोर्ट को निर्देश दिये है कि वो याचिकाकर्ता की अपील को जल्द से जल्द सुनवाई कर निपटाने के लिए उचित कदम उठाए.


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सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता एचआईवी संक्रमित होने के चलते कानून के अनुसार अपनी पहचान को छिपाने के लिए रिकॉर्ड को गुमनाम रखने की भी आजादी दी है.


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