नवाब मलिक की याचिका पर जल्द सुनवाई को तैयार सुप्रीम कोर्ट
NCP नेता और महाराष्ट्र सरकार में मंत्री नवाब मलिक की याचिका पर देश की सर्वोच्च अदालत सुप्रीम कोर्ट ने जल्द सुनवाई का आश्वासन दिया है.
नई दिल्ली: एनसीपी नेता और महाराष्ट्र सरकार में मंत्री नवाब मलिक द्वारा ईडी की कार्रवाई को लेकर दायर की गयी विशेष अनुमति याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने शीघ्र सुनवाई के लिए सहमति दे दी है. वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने मुख्य न्यायाधीश एनवी रमन्ना से याचिका के लिए तत्काल सूची देने का अनुरोध किया. जिस पर सीजेआई ने कहा कि वे इस मामले को सूचीबद्ध करेंगे.
कपिल सिब्बल ने दायर की है याचिका
नवाब मलिक की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने याचिका को मेंशन करते हुए कहा कि यह नवाब मलिक का 22 साल पहले का मामला है, जहां ईडी कार्रवाई कर रहा है. अधिनियम 2005 में आया था और लेनदेन 2000 से पहले का है. 22 साल पहले हुए लेनदेन के मामले को अब आगे बढ़ाया जा रहा है.
गौरतलब है कि ईडी ने वैश्विक आतंकवादी दाऊद इब्राहिम के खिलाफ दर्ज एक एफआईआर के आधार पर टैरर फंडिग में मलिक को शामिल मानते हुए 23 फरवरी को गिरफ्तार किया था. ईडी के अनुसार नवाब मलिक ने दाऊद इब्राहिम की बहन दिवंगत हसीना पारकर से एक भूमि सौदा किया था, इस भूमि सौदे के जरिए टैरर फंडिग के लिए धन जुटाया गया.
प्रवर्तन निदेशालय ने लगाया है ये बड़ा आरोप
ईडी ने आरोप लगाया कि पारकर और मलिक ने मुनीरा प्लंबर से कुर्ला में एक संपत्ति हड़प ली. 2003 में मलिक ने अपने परिवार के माध्यम से सॉलिडस इन्वेस्टमेंट प्राइवेट लिमिटेड नामक एक कंपनी खरीदी, जो संबंधित संपत्ति पर एक किरायेदार की थी.
ईडी का दावा है कि उसने सॉलिडस के जरिए 2003 और सितंबर 2005 में पारकर को जमीन का मालिकाना हक हासिल करने के लिए पैसे दिए और चूंकि पारकर कथित तौर पर दाऊद के गिरोह का हिस्सा थी, इसलिए उसे दिया गया पैसा अपराध की कमाई बन गया.
नवाब मलिक की गिरफ्तारी के बाद स्पेशल पीएमएलए कोर्ट ने प्रथम दृष्टया आरोपों को सही मानते हुए 14 दिनों के लिए न्यायिक हिरासत में भेज दिया. नवाब मलिक ने पीएमएलए कोर्ट की धारा 3 पर प्रथम दृष्टया साक्ष्य को आधार मानने पर सवाल उठाते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की.
नवाब मलिक ने मौलिक अधिकारों का उल्लंघन की बात कही
नवाब मलिक ने कहा कि उन पर की गई कार्रवाई ना सिर्फ गैरकानूनी है, बल्कि उनके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करती है. उन्होंने कहा कि उनपर की गई कार्रवाई के खिलाफ हेबियस कॉर्पस रिट का अधिकार था, लेकिन उन्हें यह अधिकार नहीं मिला.
हाई कोर्ट ने 15 मार्च के अपने आदेश में नवाब मलिक को किसी तरह से अंतरिम राहत देने से इंकार कर दिया. हाई कोर्ट ने कहा था कि सिर्फ इसलिए प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (पीएमएलए) के तहत विशेष अदालत के उन्हें हिरासत में भेजने के आदेश को अवैध या गलत नहीं कहा जा सकता, क्योंकि वह उनके पक्ष में नहीं है.
23 फरवरी को गिरफ्तारी के बाद से ही नवाब मलिक सात मार्च तक ईडी की हिरासत में थे. 7 मार्च को पीएमएलए की विशेष अदालत नवाब मलिक को पहले 21 मार्च तक न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया था. उसके बाद अदालत लगातार 14-14 दिन के न्यायिक हिरासत अवधि बढ़ाती रही है. 4 अप्रैल को पीएमएलए की एक विशेष अदालत ने मलिक की न्यायिक हिरासत अवधि को 14 दिनों के लिए आगे बढा दिया था. फिलहाल 18 अप्रैल तक न्यायिक हिरासत में है.
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