UP में क्यों हुई तालिबान की एंट्री, तालिबान पर बयान से सूबे में किसका कल्याण?
बर्क के इस बयान पर मचे सियासी बवाल ने सपा के लिए मुसीबत खड़ी कर दी. हालांकि बर्क ने बाद में सफाई देकर कहा कि वो तालिबान समर्थक नहीं है लेकिन तब तक देर हो चुकी थी.
नई दिल्लीः तख्तापलट तालिबान में हुआ है लेकिन उसके साइड इफ़ेक्ट हिंदुस्तान की सियासत में देखने को मिल रहे हैं. देश के सबसे बड़े सूबे उत्तर प्रदेश की राजनीति में तालिबान की एंट्री से गरमाई हुई है. इसे चुनाव से पहले की सियासत से जोड़कर देखा जा रहा है. सवाल है कि यूपी में तालिबान की एंट्री से किसे होगा फायदा ? क्या वोटों के ध्रुवीकरण की हो रही है कोशिश ? कौन अपनी ही टीम के खिलाफ कर रहा है सेल्फ गोल ?
बर्क कराएंगे सपा का बेड़ागर्क ?
समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता और संभल से सांसद शफीकुर्रहमान बर्क के तालिबान पर दिए बयान ने यूपी की सियासत को गरमा दिया है. बर्क के विवादित बयान पर उनके खिलाफ राजद्रोह का मुक़दमा भी दर्ज हो गया है. बर्क ने तालिबान की तुलना स्वतंत्रता सेनानियों से करते हुए कहा था कि जैसे भारत के स्वाधीनता सेनानियों ने अंग्रेजों के खिलाफ जंग लड़कर देश को आज़ाद करवाया था वैसा ही तालिबान ने किया.
सपा के लिए हुई मुश्किल
बर्क के इस बयान पर मचे सियासी बवाल ने सपा के लिए मुसीबत खड़ी कर दी. हालांकि बर्क ने बाद में सफाई देकर कहा कि वो तालिबान समर्थक नहीं है लेकिन तब तक देर हो चुकी थी. बीजेपी ने कहा कि तुष्टिकरण की राजनीति करने वाली सपा में कुछ भी हो सकता है . बर्क इससे पहले भी कोरोना तो कभी जनसंख्या नियंत्रण को लेकर विवादित बयान दे चुके है जिस पर सियासी कोहराम मचा था . दरअसल बर्क जैसे नेता खुद अपनी ही टीम में सेल्फ गोल दागने वाले खिलाड़ी बन चुके है जिसकी वजह से पार्टी को ऐसे बयानों से कन्नी काटकर बैकफुट में आना पड़ता है .
बर्क के बाद नोमानी और मदनी ने भी गरमाया माहौल
समाजवादी पार्टी के सांसद शफीकुर्रहमान बर्क के तालिबान पर दिए बयान पर हंगामा मचा ही था कि पूर्व मंत्री मौलाना मसूद मदनी ने भी तालिबान के समर्थन में कसीदे पढ़ने शुरू कर दिए . मदनी ने अफगानिस्तान के खौफनाक मंजर को दरकिनार कर कह दिया कि एयरपोर्ट के अलावा अफगानिस्तान में कहीं पर भी भगदड़ नहीं है. एयरपोर्ट पर गोली भी अमेरिका ने चलवाई थी.
उन्होंने यहां तक कह दिया कि विरोधी मामले को बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं, जब कि असलियत में ऐसा कुछ भी नहीं है. मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के प्रवक्ता मौलाना सज्जाद नोमानी तो मदनी से एक कदम आगे बढ़ते हुए अफगानिस्तान पर तालिबानियों के कब्जे को जायज ठहरा दिया और ये कह दिया कि हिंदुस्तान का मुसलमान तालिबान को सलाम करता है . हालाकि मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने इसे निजी बयान बताते हुए पल्ला झाड़ लिया .
मुनव्वर ने योगी राज को बताया तालिबानी राज
तालिबान पर विवादित बयानों के फेहरिस्त में मशहूर शायर मुनव्वर राणा भी कूद पड़े . मुनव्वर ने तालिबान का समर्थन करते हुए कहा कि अफगानिस्तान में जितनी क्रूरता है, उससे ज्यादा हमारे यहां पर है. पहले यहां रामराज था, लेकिन अब कामराज है. अगर राम से काम है तो ठीक वरना कुछ नहीं.
उन्होंने कहा कि हिन्दुस्तान को तालिबान से डरने की जरूरत नहीं है, तालिबानी- अफगानी सब एक हैं जैसे यहां RSS ,बीजेपी , बजरंग दल सब एक हैं मुनव्वर राणा ने बीजेपी और योगी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि यूपी में भी तालिबान जैसा काम हो रहा है . यहां भी तालिबानी हैं .तालिबान से पहले 'अब्बा जान' ने बढ़ाया तापमान
तालिबान की एंट्री से महज कुछ दिनों पहले यूपी में अब्बा जान पर सियासी पारा गरमाया हुआ था . दरअसल सीएम योगी आदित्यनाथ ने एक इंटरव्यू के दौरान अखिलेश यादव पर हमला करते हुए कहा था कि उनके अब्बा जान तो कहते थे कि अयोध्या में परिंदे को भी पर नहीं मारने देंगे लेकिन अब वहां राम मंदिर का निर्माण शुरू हो गया है जिस पर अखिलेश यादव ने सीएम योगी को अपनी भाषा पर कंट्रोल करने की नसीहत दे डाली थी . अखिलेश ने कहा था कि मेरे पिता जी के लिए कुछ कहेंगे तो मैं भी उनके पिताजी के बारे में बहुत कुछ कह दूंगा .
सीएम योगी के अब्बा जान वाले बयान को अमर्यादित बताते हुए विधान परिषद में सपा सदस्यों ने काफी हंगामा किया था . जिस पर बीजेपी ने सपा को निशाने पर लेते हुए कहा था कि अब्बा जान तो उर्दू का अच्छा और मीठा शब्द है इससे भला किसी को क्या दिक्कत हो सकती है . समाजवादी पार्टी को मुस्लिम वोट चाहिए लेकिन अब्बा जान शब्द से परहेज है .
तालिबान प्रेमियों को बीजेपी की चेतावनी
तालिबान प्रेमियों के बयानों पर पलट वार करने में बीजेपी भी देर नहीं कर रही . यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा कि कुछ लोग तालिबान के साथ खड़े हैं जहां महिलाओं और बच्चों के साथ क्या क्रूरता की जा रही है. लेकिन यहां कुछ लोग बेशर्मी से तालिबान का समर्थन कर रहे हैं . इन सभी के चेहरे एक्सपोज किए जाने चाहिए . वहीं यूपी बीजेपी अध्यक्ष ने तालिबान की तारीफ में कसीदे गढ़नेवोलो को सीधे चेतावनी देते हुए कह दिया कि यूपी में जो लोग आतंकवादियों के शुभचिंतक बन रहे हैं उन्हें याद रखना चाहिए कि उनके प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री कौन हैं .
ध्रुवीकरण से किसे फ़ायदा ?
सवाल है कि यूपी की सियासत में तालिबान की एंट्री क्यों हुई और ऐसे बयानों से किसे फायदा होनेवाला है दरअसल इसे ध्रुवीकरण की सियासत से जोड़कर देखा जा रहा है सपा नेता बर्क का तालिबान को लेकर दिया बयान 20 फीसदी मुस्लिम वोट बैंक को अपने पाले में करने की कवायद के तौर पर देखा जा रहा है तो इस बयान ने बीजेपी के हिंदुत्ववादी एजेंडे की सियासत को खाद पानी देने का काम कर दिया है इस बयान ने बीजेपी को हिन्दू वोट बैंक के ध्रुवीकरण का अच्छा मौका दे दिया है.
यूपी में बीजेपी के खिलाफ लड़ाई में सपा ही मुख्य विपक्षी पार्टी है जिसका MY समीकरण उसे सत्ता तक पहुंचाता रहा है जबकि बीजेपी के पास उसका हिन्दू कार्ड है दरअसल में बर्क जैसे नेताओं का उलूल जुलुल और विवादित बयान बीजेपी की सियासत को सूट करता है उसके लिए उन बयानों को हवा देकर अपने टारगेट वोट बैंक को लामबंद करना आसान हो जाता है . अगर इन्हें लेकर सियासी भाषणबाजी बढ़ती है तो पार्टी को इसका लाभ मिल सकता है . हो सकता है कि आने वाले दिनों में अफगानिस्तान और तालिबान जल्द बीजेपी के चुनावी एजेंडे का हिस्सा भी बन जाए .
एक बात तो तय है कि अभी इतनी जल्द तालिबान का मसला शांत नही होनेवाला और इसे लेकर ऐसे बयानों की झड़ी और बहस भी थमने वाली नहीं , यानी चुनाव से पहले उत्तर प्रदेश में अभी कुछ दिन और तालिबान सियासी तापमान बढ़ाता रहेगा .
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