पंजाब के किसानों को तमिलनाडु के `अन्नदाताओं` का समर्थन, `नरमुंड` के साथ किया प्रदर्शन
त्रिची के एक किसान ने कहा- अगर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तमिलनाडु की किसी भी सीट से लोकसभा चुनाव में नामांकन करेंगे तो किसान भी उस जगह से पीएम के खिलाफ पर्चा दाखिल करेंगे.
नई दिल्ली. तमिलनाडु के किसानों के एक समूह ने प्रदर्शनरत पंजाब के किसानों को अपना समर्थन दिया है. पंजाबी किसानों की 'दिल्ली चलो' यात्रा को समर्थन देते हुए त्रिची के किसानों ने 'नरमुंड' के साथ प्रदर्शन किया. वो सड़कों पर लेट गए. कई किसान मोबाइल टावर पर चढ़ गए. एक किसान ने कहा-संविधान के मुताबिक हम देश के भीतर अपने अधिकारों के लिए कहीं भी घूम सकते हैं. लेकिन दिल्ली में पुलिस किसानों को प्रदर्शन की अनुमति नहीं दे रही है.
पीएम मोदी के खिलाफ दाखिल करेंगे पर्चा
उन्होंने कहा-अगर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तमिलनाडु की किसी भी सीट से लोकसभा चुनाव में नामांकन करेंगे तो किसान भी उस जगह से पीएम के खिलाफ पर्चा दाखिल करेंगे. इससे पहले किसानों के ‘दिल्ली चलो’ विरोध मार्च में शामिल प्रदर्शनकारियों को अंबाला में शंभू बॉर्डर पर लगाए गए बैरिकेड को तोड़ने की कोशिश की, जिसके बाद भीड़ को तितर-बितर करने के लिए हरियाणा पुलिस ने आंसू गैस के गोले छोड़े.
छोड़े गए आंसू गैस के गोले
इसके बाद किसानों ने सीमेंट से बने अवरोधक हटाने के लिए ट्रैक्टर इस्तेमाल किए. ये अवरोधक प्रदर्शनकारी किसानों को आगे बढ़ने से रोकने के लिए घग्गर नदी पुल पर हरियाणा पुलिस द्वारा बैरिकेड के हिस्से के रूप में रखे गए थे. स्थिति को नियंत्रित करने के लिए आंसू गैस के गोले का इस्तेमाल किया गया.
क्या बोली पुलिस
पुलिस प्रवक्ता ने कहा-प्रदर्शनकारियों द्वारा हरियाणा पुलिस पर पथराव किया गया. स्थिति को नियंत्रित करने के लिए आंसू गैस के गोले छोड़े गए. किसी को भी अशांति फैलाने की इजाजत नहीं दी जाएगी. ऐसा करने वालों से सख्ती से निपटा जाएगा. किसान नेताओं को प्रदर्शनकारियों से आंसू गैस के गोले के प्रभाव को कम करने के लिए गीले कपड़ों का उपयोग करने के लिए कहते सुना गया.
बता दें कि संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा ने घोषणा की है कि किसान फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की गारंटी के वास्ते कानून बनाने सहित अपनी मांगों को लेकर केंद्र पर दबाव बनाने के लिए मंगलवार को दिल्ली कूच करेंगे. सोमवार को केंद्रीय मंत्रियों के साथ किसान प्रतिनिधियों की वार्ता विफल रही थी.
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